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UCC पर बोले मदनी मुस्लिम पर्सनल ला से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं! मुसलमानों से कहा सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शन ना करें….

जमीयत उलमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी की एक बैठक दिल्ली स्थित मुख्यालय में आयोजित की गई। इसमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर चर्चा की गई। साथ ही मुस्लिम पारिवारिक कानूनों के समक्ष आने वाली चुनौती का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

सोमवार को आयोजित बैठक में जमीयत अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937) के क्रियांवयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्तमान समय में यूसीसी द्वारा विशेष रुप से मुस्लिम पर्सनल लॉ को निशाना बनाया जा रहा है, जो हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। हम ऐसे किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं।

मौलाना मदनी ने कहा कि यह मामला मुस्लिम अल्पसंख्यक की पहचान से जुड़ा है, देश के संविधान ने अनेकता में एकता को केंद्रीय भूमिका में रखा है। इसलिए यदि किसी एक की पहचान को मिटाने का प्रयास किया गया तो यह देश की गौरवपूर्ण पहचान को मिटाने के समान होगा।
मौलाना महमूद ने कहा कि देश की आजादी के समय इसके निर्माताओं, संस्थापकों और विचारकों ने हमें आश्वासन दिया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ जो किसी प्रथा एवं परंपरा पर नहीं बल्कि पवित्र कुरान और प्रामाणिक हदीसों के आधार पर है, इसका सांवैधानिक संरक्षण किया जाएगा। लेकिन आज हम जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं, वह बहुत निराशाजनक है।

यूसीसी: 14 जुलाई यौम-ए-दुआ के रुप में मनाया जाएगा: फारुकी
जमीयत उलमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारुकी ने बताया कि वर्किंग कमेटी ने फैसला लिया है कि यूसीसी के संदर्भ में आगामी 14 जुलाई यानि शुक्रवार को यौम-ए-दुआ (प्रार्थना दिवस) के रुप में मनाया जाएगा। उन्होंने मुस्लिम समाज से यूसीसी को लेकर सार्वजनिक रुप से किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन न करने का आह्वान किया है।
यूसीसी को लेकर राज्यों के सीएम को सौंपे जाएंगे पत्र
जमीयत कार्यकारिणी समिति ने निर्णय लिया है कि यूसीसी के संबंध में मुस्लिम समुदाय के सर्वसम्मत रुख से अवगत कराने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के नाम पत्र लिखा जाए और भारत के राष्ट्रपति से भी मिलने का प्रयास किया जाए।

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