हाइलाइट्स
- स्वामी प्रसाद मौर्य की नई पार्टी के ऐलान के साथ गरमाई यूपी की राजनीति
- अखिलेश यादव की पीडीए पॉलिटिक्स को लग सकता है बड़ा झटका
- स्वामी प्रसाद मौर्य की नाराजगी के बाद सपा के भीतर बढ़ी हुई है हलचल
समाजवादी पार्टी से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई पार्टी के गठन का एलान कर दिया है. उनकी इस पार्टी का झंडे की तस्वीर भी सामने आई हैं. जिसे तीन रंगों को मिलाकर बनाया गया है. ख़बरों के मुताबिक मौर्य 22 फरवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं जिसे वो संबोधित करेंगे. इसके बाद उनकी आगे की रणनीति सामने आ सकती है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के नई पार्टी का एलान करने के बाद सपा में फूट पड़ सकती है. कई नेता मौर्य के समर्थन में उनके साथ आ सकते हैं. इनमें हाल ही में इस्तीफ़ा देने वाले कमलाकांत गौतम और सलीम शेरवानी जैसे नामों को लेकर भी चर्चा है. इसके अलावा अपना दल कमेरावादी की नेता और सपा विधायक पल्लवी पटेल भी उनका समर्थन कर सकती है. पल्लवी पटेल ने भी अखिलेश यादव पर पीडीए को धोखा देने का आरोप लगाया था.
ऐसा होगा मौर्य की पार्टी का झंडा
स्वामी प्रसाद मौर्य की नई राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के झंडे की तस्वीर भी सामने आई हैं जिसे नीले, लाल और हरे रंग को मिलाकर बनाया गया है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने इससे साल 2016 में एक पार्टी बनाई थी. बसपा से बग़ावत के बाद मौर्य ने लोकतांत्रिक बहुजन मंच नाम से पार्टी का गठन किया था, जिसका एलान उन्होंने लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर रैली ग्राउंड में किया था. हालांकि इसके बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए थे. साल 2017 में उन्हें योगी सरकार वन में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. हालांकि 2022 विधानसभा चुनाव से पहले वो बीजेपी को छोड़कर सपा के साथ आ गए थे.
पिछले दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुलकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के रवैये पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. उनके इस्तीफ़े के पीछे उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा जाना वजह माना जा रहा है. मौर्य ने दावा किया था कि जब से वो सपा में आए हैं लगातार पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके बयानों को निजी बताकर ख़ारिज किया जा रहे हैं और उन्हें निष्प्रभावी बनाने की कोशिश की जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कह दिया था कि अब गेंद अखिलेश यादव के पाले में है.
ऐसे बदली स्वामी प्रसाद मौर्य की राजनीति
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी राजनीति बहुजन समाज पार्टी के नेता के तौर पर शुरू की थी। 2 जनवरी 1954 को प्रतापगढ़ में जन्मे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की। 1996 से स्वामी प्रसाद मौर्य चुनावी राजनीति में आए। उन्हें एक समय बसपा सुप्रीमो मायावती का सबसे अधिक करीबी उन्हें माना जाता था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में अब तक चार बार पाला बदला है। लोक दल से राजनीति की शुरुआत करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य जनता दल, बसपा, भाजपा और सपा तक का सफर तय किया है। नई पार्टी का ऐलान करते ही यह उनका पांचवां राजनीतिक बदलाव हो गया है।
स्वामी प्रसााद मौर्य का राजनीतिक जीवन:
- 1980 के दशक से राजनीति शुरू की। वह प्रयागराज तत्कालीन इलाहाबाद में युवा लोकदल के संयोजक के रूप में राजनीतिक करियर की शुरुआत की।
- 1981 में वह युवा लोक दल में उत्तर प्रदेश की कार्यसमिति के सदस्य बनाए गए।
- 1982 से 1985 तक युवा लोक दल के प्रदेश महामंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान वे लोक दल की प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भी रहे।
- 1986 से 1989 तक वह लोक दल के प्रदेश महामंत्री रहे।
- 1989 से 1991 तक लोक दल के मुख्य महासचिव रहे।
- 1991 से 1995 तक स्वामी प्रसाद मौर्य जनता दल के प्रदेश महासचिव रहे।
- 1996 में पाला बदलकर बसपा में आए। बसपा के टिकट पर पहली बार डलमऊ विधानसभा सीट से विधायक बने।
- 2002 में बसपा के टिकट पर दूसरी बार डलमऊ विधानसभा सीट से विधायक बने।
- 2009 में पडरौना विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में जीत दर्ज कर तीसरी बार विधानसभा पहुंचे।
- 2012 में पडरौना विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर चौथी बार वे विधायक बने।
- 2017 विधानसभा चुनाव के पहले बसपा से 20 सालों का साथ छोड़ा। भाजपा के टिकट पर पडरौना से उतरे और जीत हासिल की।
- 2022 में भाजपा छोड़कर सपा का दामन था। समाजवादी पार्टी ने फाजिलनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। भाजपा के सुरेंद्र कुशवाहा के हाथों हार झेलनी पड़ी।
- 2024 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी और इसके सिंबल का ऐलान कर दिया।