लैंड जिहाद: सस्ती जमीन का लालच देकर युवाओं को बनाया जा रहा शिकार! पीड़ित ने SSP को भेजा शिकायती पत्र”

देहरादून में प्रॉपर्टी डीलिंग के नाम पर ठगी का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बिहार के पश्चिम चंपारण निवासी मनीष अल्बर्ट ने शहर के मेहुवाला क्षेत्र निवासी शमशाद सिद्दीकी पर गंभीर धोखाधड़ी और छलपूर्वक रूपयों की हड़प की शिकायत करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) देहरादून को लिखित शिकायत भेजी है। उन्होंने शमशाद पर भरोसे का खून करने, झूठे आश्वासन देने और जानबूझकर पैसे हड़पने का आरोप लगाया है। और जब पैसे मांगने जाते है उल्टा हमें हीं धमकी दी जाती है, की तुम्हे फ़र्ज़ी मुकदमो में फसा दूंगा , पुलिस में मेरी पहुँच है, चोकि इंचार्ज मेरे दोस्त है.

क्या है मामला?

पीड़ित मनीष ने बताया कि उनकी शमशाद से मुलाकात बैंक ऋण के संदर्भ में हुई थी, जिसके बाद शमशाद ने उन्हें प्लॉट दिलाने और लोन की प्रक्रिया करवाने का झांसा दिया। 7 सितंबर 2024 को मनीष से लॉगिन शुल्क के नाम पर ₹4500 की वसूली की गई, वह भी बिना उनकी अनुमति के लॉगिन करते हुए। इसके बाद 22 अक्टूबर को एक जमीन दिखाने के नाम पर ₹10000 टोकन राशि ली गई और वादा किया गया कि यदि जमीन पसंद नहीं आई तो राशि तत्काल लौटा दी जाएगी।

मनीष का आरोप है कि दिखाए गए प्लॉट की हालत बेहद खराब थी और वह उनके लिए उपयुक्त नहीं था, लिहाज़ा उन्होंने टोकन राशि वापस मांगी। लेकिन शमशाद ने बहानेबाज़ी शुरू कर दी और यह कहते रहे कि पैसे सुरक्षित हैं। इसी बीच एक अन्य प्लॉट के लिए कानूनी और तकनीकी जांच कराने की बात कही गई, जिसके नाम पर अतिरिक्त ₹35000 ऐंठ लिए गए। न जांच हुई, न प्लॉट मिला — और वह प्लॉट किसी और को बेच दिया गया।

धोखे पर धोखा, और फिर मोबाइल नंबर ब्लॉक!

जब मनीष ने बार-बार पैसे वापस मांगे, तो शमशाद ने उनका नंबर ही ब्लॉक कर दिया। यही नहीं, जब मनीष ने अपने परिचित से संपर्क करवाया, तो शमशाद ने वहां भी झूठ बोलते हुए कहा कि “कई प्लॉट दिखाए, खर्चा हुआ है” — जबकि मनीष के अनुसार सिर्फ एक प्लॉट ही दिखाया गया था।

चालाकी से रची गई स्क्रिप्ट?

मनीष का कहना है कि शमशाद ने मीठी-मीठी बातों से उन्हें अपने जाल में फंसाया और उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए पाँच महीने बीतने के बाद भी अब तक राशि वापस नहीं की है।

क्या कहते हैं सबूत?

पीड़ित ने दावा किया है कि उसके पास कॉल रिकॉर्डिंग, व्हाट्सएप चैट्स, UPI ट्रांजैक्शन और दो प्रत्यक्षदर्शी मित्रों के बयान जैसे पुख्ता सबूत मौजूद हैं, जो पूरे मामले को प्रमाणित करते हैं।

SSP से कार्रवाई की मांग

मनीष ने SSP देहरादून को लिखित आवेदन में पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिर्फ एक व्यक्तिगत ठगी नहीं, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से कई लोगों को निशाना बनाने वाला “प्रॉपर्टी फ्रॉड सिंडिकेट” हो सकता है।

अब क्या होगी कार्रवाई?

मामले ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस के कान खड़े कर दिए हैं। यदि FIR दर्ज होती है तो शमशाद पर आईपीसी की गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और ठगी शामिल हैं।

सवाल यह है कि — क्या शमशाद अकेला है या किसी गिरोह का हिस्सा? क्या मनीष ही अकेला पीड़ित है या और भी लोग ठगे जा चुके हैं?

जवाब जानने के लिए अब सबकी निगाहें SSP देहरादून पर टिकी हैं।

यह मामला न केवल एक आम नागरिक के साथ छल का है, बल्कि सिस्टम की परीक्षा भी है कि क्या आम आदमी को न्याय मिलेगा?

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