
काबुल एयपोर्ट पर हुए दो धमाकों में 60 लोगों की मौत हुई है और 140 लोग घायल हुए हैं. मारे गए लोगों में 13 अमेरिकी सैनिक शामिल हैं.
इस्लामिक स्टेट समूह ने हमले की ज़िम्मेदारी ली है. टेलीग्राम चैनल पर चरमपंथी समूह ने ये एलान किया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है- हमले के पीछे जो भी है उसे छोड़ा नहीं जाएगा, इसकी क़ीमत उसे चुकानी ही होगी.
गुरुवार देर शाम काबुल के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर हुए दो घमाकों में 60 लोगों की मौत हो गई है और 140 लोग घायल हुए हैं. मीडिया को ये जानकारी अफ़ग़ानिस्तान के स्वास्थ्य अधिकारी ने दी है.
पेंटागन के मुताबिक़ इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं और साल 2011 के बाद अमेरिकी सैनिकों के लिए ये सबसे ख़तरनाक हमला साबित हुआ है.
इस हमले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा,‘’ इस हमले के पीछे जो भी है उसे हम ढूढ़ निकालेंगे और इसकी कीमत उसे चुकानी होगी. ना हम उन्हें भूलेंगे और ना ही माफ़ करेंगे. आतंकवादी, अमेरिकियों को हमारा काम करने से रोक नहीं सकते. हम काबुल में अपना मिशन नहीं रोकेंगे और लोगों को सुरक्षित अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकालने का काम जारी रहेगा. ‘’
काबुल एयरपोर्ट पर हमले की ज़िम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली है.उन्होंने अपने टेलीग्राम चैनल के ज़रिए किया है कि एयरपोर्ट पर हुए हमले के पीछे स्लामिक स्टेट खुरासान का हाथ है.
इस्लामिक स्टेट खुरासान ने कहा है कि यह एक आत्मघाती हमला था. इससे पहले अमरिकी रक्षा विभाग ने भी हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट के होने की संभावना व्यक्त की थी.
दुनियाभर के देश अफ़गानिस्तान से अपने लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के मिशन पर काम कर रहे हैं ऐसे में इन धमाकों ने दुनियाभर में खलबली मचा दी है. कई राजनेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी है.
ब्रिटेन के रक्षा सचिव डोमिनिक रॉब ने कहा है कि इस तरह की कायराना हरकत ब्रिटेन को अफ़ग़ानिस्तान में अपना काम करने से रोक नहीं सकती.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक बयान जारी करते हुए इस आतंकवादी हमले की निंदा की है और उन लोगों के ‘सलाम किया है जो ऐसे वक़्त में काबुल में लोगों के सुरक्षित बाहर निकालने के मिशन पर लागातार काम कर रहे हैं.’
नेटो के मुख्य सचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने इस घटना को ‘भयानक आंतकी हमला‘ बताया है और कहा है कि ‘जितना संभव हो उनते लोगों के यहां से सुरक्षित बाहर निकलना हमारी प्रथमिकता है.’
ख़ुफिया एजेंसियों ने दी थी चेतावनी
अमेरिका और ब्रिटेन की ख़ुफिया एजेंसियां बिल्कुल इसी तरह के हमले की चेतावनी दे रही थीं.हालांकि,बस किसी तरह काबुल छोड़ने की कोशिशों में लगे अफ़ग़ान लोगों ने इन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया और वे गेट पर डटे रहे.
पिछले कई सालों और हालिया महीनों में अफ़ग़ानिस्तानी शहरों में होने वाले कई हमलों में इस रणनीति का इस्तेमाल किया गया है,इसके तहत पहले एक आत्मघाती हमलावर धमाका करता है फिर गोलीबारी की जाती है और इस तरह ध्यान भटका कर दूसरे धमाके किए जाते