झालावाड से ब्यूरो चीफ
आसिफ शेरवानी की रिपोर्ट
झालावाड़ _
खामी गाँव पिडावा निवासी
17 साल के मुकेश कुमार पिछले तीन महीने से दाएं
आँख की रोशनी धीरे धीरे कम हो रहीं थी और 2 महिने
से उसकी आँख
बाहर आने लगी जिसके लिए उसके
परिजन कही सारे आँखो के डाक्ट्रर को दिखाते रहे।
लेकिन राहत नही मिली, इसके बाद झालावाड़ मेडिकल
कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में दिखाया
और एमआरआई की जाँच करवाने पर मालूम हुआ की उसकी आँख की नस में गांठ है जिसके लिए मरीज के परिजानो को समझाया गया!!
और ऑपरेशन की सहमति मिलने पर 5 अक्टूबर
को मरीज ऑपरेशन दिमाग के रास्ते से आँख में
जाकर आँख की नस का ऑपरेशन किया जो की
सफल रहा मरीज के परिजनो ने बताया की पिछले
3 महिने से इस बीमारी की तकलीफ से परेशान थे !
जिससे धीरे धीरे बच्चे की आँख से दिखना बन्द
हो गया । और कोटा के डॉक्टरो ने भी एसएमएस जयपुर
ले जाने को कहा। इस पर एक रिश्तेदार के चर्चा करने
विभाग में उसने झालावाड अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में दिखाने को कहा और जांच करवाने पर मालूम
हुआ की मरीज की आंख की नस (optic Newe )
की गांठ है।
जिसमे न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ रामसेवक योगी की टीम ने सफल ऑपेशन किया। टीम के अन्य सदस्य डा. रामावतार, डा. प्राची डा. राजन नन्दा, डा. रमा कुमारी तथा स्टाफ मे कीर्ति मित्तल , रोहित तथा कमलेश का योगदान रहा!
डा. राम सेवक योगी, विभागाध्यक्ष न्यूरोसर्जरी ने
बताया की ऐसा ऑपरेशन हाडोती सभांग का
पहला है। इस तरह के ऑपरेशन राजस्थान के सरकारी
अस्पतालों में सिर्फ एसएमएस जयपुर में होते है और ओपरिक नर्व आख के पिछले हिस्से
मे और दिमाग के निचे होने की वजह से
अत्यधिक जटिल होते है ,यदि समय पर इस तरह कैंसर की गांठ का ऑपरेशन नहीं किया जाता है तो ये दीमक की मैं अंदर तक फैल जाती है।