भारत के बाद अब जापान ने चीन को करारा झटका दिया है। जापान ने चीन में कारोबार कर रही 57 जापानी कंपनियों को वापस अपने देश बुलाने का फैसला किया है। जापान ने इस प्रक्रिया में होने वाला सारा खर्च सरकार द्वारा उठाये जाने की तैयारी भी दिखाई है।कोरोना वायरस और चीन की विस्तारवादी नीतियों के कारण चीन लगातार विश्व के कई देशों के निशाने पर बना हुआ है। पहले भारत ने 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाया। इसके बाद अमेरिका उस पर लगातार नए आरोप लगा रहा है। अब जापान ने भी चीन को बड़ा झटका दिया है।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक जापान ने चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए यह कदम उठाया है। जापानी कंपनियों की आपूर्ति शृंखला पर कोई दुष्परिणाम न पड़े और वह मुख्य रूप से चीन पर निर्भर न रहें इसके लिए इन कंपनियों को वापस बुलाने का फैसला लिया गया है। जापान ने चीन की सभी 57 जापानी कंपनियों को स्वदेश में बुलाकर उत्पादन करने के लिए सहायता करने की दृष्टि से 53.6 करोड़ डॉलर की निधि घोषित की है।
चीन के साथ ही एशिया के विएतनाम, म्यांमार, थाईलैंड और अन्य दक्षिण एशियाई देशों की जापानी कंपनियों को वापस अपने देश में आकर उद्योग स्थापित करने के लिए जापानी सरकार ने गतिविधि शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक जापान का कहना है कि व्यापार के साथ ही चीन की विदेश नीति सभी का सहयोग करने की नही है। आर्थिक रूप से परेशान करने के साथ ही अपने पड़ोसी देशों की सीमाओं का चीन द्वारा सम्मान नहीं किया जा रहा है।
ताईवान सरकार ने 2019 में ही ऐसी नीति को अपनाते हुए अपने देश की कंपनियों को वापस देश में बुलाना शुरू कर दिया था। अमेरिका ने भी अपने देश की कंपनियों को चीन से किस तरह वापस बुलाया जाए इस नीति पर काम करना शुरू कर दिया है। आईफोन बनाने वाली एप्पल ने पहले ही अपनी कंपनी की यूनिट को भारत में स्थानांतरित करने का फैसला कर चुकी है। उसके लिए हैंडसेट बनानी वाली फॉक्सकॉन ने हाल ही में कहा था कि वह भारत में 7600 करोड़ रुपये और निवेश करेगी। वहीं भारत ने कई चीनी कंपनियों के कॉन्ट्रैक्ट रद्द करके चीन को बड़ा झटका दिया है।