वक्फ प्रॉपर्टीज की हिफाजत हम सब की जिम्मेदारी…..

वक्फ की संपत्ति को वक्फ बोर्ड के माध्यम से पहले रसूख दार मुसलमानों ने लूटा और अब वक्फ संशोधन कानून बनाकर सरकार वक्फ की संपत्तियों पर मुस्लिम एकाधिकार खत्म करना चाहती हैं। रक्षा एवं रेलवे के बाद भारत में वक्फ के पास सबसे ज्यादा संपति है ऐसे में किसी की भी नियत खराब हो सकती हैं तो भारत सरकार क्यों पीछे रहे। यह मुसलमानों को बदनसीबी है कि लाखों वक्फ और लाखो एकड़ ज़मीन वक्फ संपति होने बावजूद यह कौम अपने गरीबों का उत्थान नही कर पाई इसके लिए मुसलमानों की धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक कयादत पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं यह तो सिर्फ सवाब कमाने के चक्कर में रह गए पर कानूनी तौर से अपनी इस विरासत की कैसे हिफाजत करनी है इसका खयाल तक भी हमारे दिमाग में कभी नहीं आया और अब यह विरासत लूटी जा रही है तो हम हारे हुए घोड़े की तरह आखें फाड़ कर सिर्फ तक रहे हैं। जो कौम खाती और सोती है उसका हश्र यही होता है कि उसके सामने उसका सब कुछ खत्म कर दिया जाता हैं और वह ततरियो की औरतों के डर से कोने में आखें मूंद कर बैठ जाते हैं।

वक्फ को समझना जरूरी है अगर किसी ने (इसमे मुस्लिम और गैर मुस्लिम दोनो शामिल है) अपनी सही मनोदशा और सिद्क नियत से अपनी कोई संपति अपने मालिक खालिक अल्लाह की रजा के लिए, मुस्लिम उम्माह की फलाह बेहबूद के लिए वक्फ कर दी तो वह संपति अल्लाह की संपति और मुसलमानों के फलाह बेहबूद के लिए अर्पित हो गई इसके लिए 1954 से पहले किसी सरकारी दस्तावेज की जरूरत नहीं होती थी मगर 1954 के वक्फ एक्ट के बाद इसमें कानूनी तौर से वक्फ इंदराज का प्रावधान कर दिया गया। चूकि ज्यादा तर संपति 1954 वक्फ एक्ट से पहले ही वक्फ कर दी गई थी इसलिए उनका इंदराज सरकारी दस्तावेजों में नहीं हो सका। वक्फ करने वाला वाकिफ मुतमइन रहा कि उसने अपनी संपति अल्लाह के लिए वक्फ कर दी और आखीरत में इसका अजर मिल जायेगा इस भरोसे में इन जायदादो की कानूनी प्रक्रिया पूरी नही हुई और वक्त गुजरता गया 1984 में एजे इज वेह यर इज बेसिस पर वक्फ की जायदादो का सरकारी तौर से सर्वे किया गया और सर्वे की बुनियाद पर गजट नोटिफिकेशन कर दिया गया इस प्रक्रिया में बहुत सारे वक्फो का सर्वे नही हो सका और वह अन रजिस्टर्ड वक्फ की श्रेणी में आ गए। गजट नोटिफिकेशन के बाद भी वक्फ बोर्ड की शिथिलता के कारण बहुत सारे रजिस्ट्रड वक्फ का भी रेवेन्यू रिकॉर्ड में वक्फ संपत्तियों की तरह इंदराज नही हो सका और शहरीकरण की वजह से अब जमीनों की कीमतों में वृद्धि हो गई और वाकिफ और सरकार दोनो की नियत बदलनी शुरु हो गई जिसका नतीजा सरकार का पार्लियामेंट में वक्फ संशोधन 2024 बिल हैं जिसमे अपने बनाए हुए वक्फ एक्ट 1995 में अपने स्वार्थ के दृष्टिगत 40 संशोधन प्रस्तावित है।

जहां तक मुसलमानों का सवाल है उन्होंने इस असलाफ से मिली नेमत की बे कदरी की तो इनसे यह नेमत छिन रही हैं अगर अब भी यह अल्लाह के एहसान के कद्रदान न बने तो इनकी पहचान, इज्जत ओ आबरू, हक़ जायदाद और हक राय सब छीनने की तैयारी है इसलिए उम्मत मुस्लिमा को ख्वाब गफलत से अब जागना होगा और इस नेमत उजमा को बदनियति के पंजे से अंदरूनी और बाहरी ताकतों से बचाना होगा।

खुर्शीद अहमद,
37, प्रीति एनक्लेव माजरा देहरादून उत्तराखंड।

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