अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में खुलासा किया कि उन्होंने ईरान को एक नया परमाणु समझौता करने के लिए 60 दिन का समय दिया था, और यदि वह इस अवधि में सहमत नहीं होते, तो इजरायल को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने की अनुमति दी थी। यह हमला 61वें दिन हुआ, जिसे इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम दिया। इस हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल होसैन सलामी और छह परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई। इसके जवाब में, ईरान ने 100 ड्रोन इजरायल की ओर भेजे, जिन्हें इजरायली रक्षा प्रणाली ने नष्ट कर दिया ।
ट्रंप ने इस हमले को “उत्कृष्ट” बताते हुए कहा कि उन्होंने इजरायल को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने की सलाह दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए यह कदम आवश्यक था ।
हालांकि, ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका इस हमले में सीधे तौर पर शामिल नहीं था, लेकिन उन्होंने इजरायल के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत बताया और कहा कि इजरायल की सुरक्षा अमेरिका के लिए सर्वोपरि है ।
इस बीच, ईरान ने ट्रंप की चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए कहा है कि वह किसी भी दबाव में आकर बातचीत नहीं करेगा। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने कहा कि अमेरिका की धमकियों के बावजूद, ईरान अपनी परमाणु नीति पर अडिग रहेगा और किसी भी प्रकार की बातचीत के लिए तैयार नहीं है ।