बीते कुछ दिनों से भारत और चीन के बीच जारी तनाव का माहौल अब धीरे-धीरे सामान्य होने लगा है। चीनी सेना पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी से कुछ किलोमीटर पीछे हट चुकी है। इसी को लेकर भारत के रक्षा सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अधिकारी के अनुसार, भारत चीन पर कड़ी नजर रखेगा और देखेगा की चीन 30 जून को सैन्य कमांडरों के बीच हुई वार्ता के फैसले पर कायम रहता है या नहीं। दोनों सेनाओं के बीच हुई वार्ता के बाद चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने पर सहमति बनी थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीनी विदेश मंत्री और स्टेट काउंसलर वांग यी के बीच पांच जुलाई को हुई चर्चा के बाद यह प्रक्रिया शुरू की गयी थी। सरकार के उच्च सूत्रों ने बताया कि यदि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवां नदी के पास चीन ने जो कच्ची सड़क बनाई है, वो बंद मिली या फिर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सर्दियों में रहने के लिए आवास बनाती हुई नजर आई तो इसे यह माना जाएगा कि वह पीछे हटने की बजाय वहीं पर बने रहना चाहते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान समय में दोनों सेना 30 जून को बनी सहमति पर अमल कर रही हैं। बातचीत में शामिल सूत्रों के अनुसार चीनी सेना ने पीपी14, पीपी15 और पीपी17 ए के क्षेत्रों से हटना शुरू कर दिया है। यहां से उसने अपनी पांच संरचनाओं को हटा दिया है। पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर चीनी सेना फिंगर फोर पर तीन प्वाइंट से पीछे हट गई है।
हालांकि डेसपांग क्षेत्र में भारतीय सेना पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही है जहां कि वह पहले किया करती थी। पीएलए ने एलएसी तक एक सड़क का निर्माण किया है और वे अब भारतीय पैदल गश्त को यहां रोक रहे हैं। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। पीएलए की गतिविधियों पर भारतीय पक्ष कड़ी नजर रख रहा है।