अंकिता भंडारी मर्डर केस में कल अदालत ने अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है किसी भी मर्डर केस मे मौका वारदात के साक्ष्य, वारदात करने के कारण, कत्ल करने की मंशा केअलावा कत्ल वारदात की साजिश के ऊपर दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर अदालत फैसला करती है इस केस में अंकित भंडारी के मां-बाप का भी यह कहना है कि हमारी बच्ची के मर्डर में सजा तो हुई है मगर पूरा इंसाफ नहीं मिला है। एक बात जो उन्होंने कही और बहुत से लोग कह रहे है कि अपराधियों को मृत्युदंड की सजा मिलनी चाहिए थी इसलिए पूरा इंसाफ नहीं हुआ। उनके अनुसार अंकिता मर्डर केस में कई पहलू थे एक तो इस वारदात के साजिशन साक्ष्य मिटा दिए गए। दूसरा पहलू यह कि जिस बड़े नाम की सेवा के लिए उस बच्ची को मजबूर किया जा रहा था उस शख्स का खुलासा नहीं हुआ। तीसरे यह कि पूरी साजिश का पता नहीं लग सका इसलिए इंसाफ अधूरा रहा। जो उत्तराखंड केे माथे पर लगे कलंक को तभी साफ कर सकता हैं जब पूर्ण इंसाफ हो।
अगर एक पहाड़ के बेटी को उसके साथ हुई घिनौनी साजिश के बावजूद असरदार लोगों की गैर कानूनी करतूतों को छिपाया जाए तो यह उससे भी ज्यादा घिनौनी हरकत है मुजरिम कोई अंदर का हो या बाहर का हो कानून की परिधि में आकर सज़ा मिलनी चाहिए। इस तरह की घिनौनी साजिश में दोहरा मियार और दोहरा व्यवहार शोभनीय नहीं हैं।
जाहिर है अब सजा याफ़ता मुजरिम उच्च अदालतों में जाएंगे वहां पर इसी प्रकार से निरन्तर पैरवी करने की जरूरत है मगर इसके साथ इस साजिश के पूरे तथ्य उजागर करने की जरूरत है जो उत्तराखंड सरकार को करना चाहिए। जांच के लिए देश में बड़ी बड़ी एजेंसी है जो हर मुजरिम को कब्र में से ढूंढ सकती हैं यह तो बिल्कुल साफ केस है कि उत्तराखंड की बच्चियों को नौकरी के नाम पर किस तरह इस तरह की चीजों के लिए मजबूर किया जा रहा हैं कि या तो वह अपनी अस्मत गवां दे या अपना जीवन त्याग दें। यह उन संस्थाओं के लिए भी एक सबक है जो एक उत्तराखंड के मुस्लिम तबके को लव जिहाद, लैंड जिहाद और धर्म परिवर्तन (पुरोला जैसे प्रकरण) में बदनाम कर झूठे केस में फसाते है कि बेटी सबकी बेटी होती हैं इसमें ना पहाड़ी मैदानी, ना हिंदू मुसलमान होती हैं बल्कि बेटी पूरे समाज की अस्मिता होती हैं। इसलिए समाज को इन सब हीन भावनाओं से ऊपर उठकर बेटियों की हिफाज़त करनी चाहिए और इस तरह के अपराधियों को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए।
खुर्शीद अहमद सिद्दीकी,
37, प्रीति एनक्लेव, माजरा, देहरादून, उत्तराखंड।