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राजस्थान में पिछड़ों पर कुछ इस तरह डोरे डालेगी भाजपा ! जाने पूरी रणनीति…..

राजस्थान में सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने पिछड़ा वर्ग मोर्चा को भी उतार दिया है। मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 8 से 10 सितंबर तक जोधपुर में होगी। यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला भी है। गहलोत खुद पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इसके अलावा, पार्टी वहां पर बूथ स्तरीय सम्मेलन भी करने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है।

बीते दिनों भाजपा ने पटना में अपने सभी मोर्चों की संयुक्त बैठक कर संगठनात्मक दृष्टि से बड़ी पहल की थी। अब उसके विभिन्न मोर्चे विभिन्न राज्यों में अपनी अलग बैठकें कर रहे हैं। पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जरिए भाजपा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है।

इसके अलावा, राज्य में वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का संसदीय क्षेत्र भी है। भाजपा राजस्थान में शेखावत को राजनीतिक मोर्चे पर लगातार आगे बढ़ा रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव में भले ही एक साल से ज्यादा का समय है, लेकिन पार्टी विभिन्न मोर्चों पर अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है। इसी कड़ी में ओबीसी मोर्चा ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है।

ओबीसी आबादी आधी से ज्यादा, 50 से ज्यादा विधायक
राजस्थान की आबादी में लगभग 53 फीसद आबादी पिछड़ा वर्ग समुदाय की है। 200 विधानसभा सीटों में से 50 से ज्यादा सीटों पर यह निर्णायक भूमिका में हैं। राज्य में अभी 50 से ज्यादा विधायक ओबीसी समुदाय से हैं। इनमें जोधपुर संभाग से 15 ओबीसी विधायक हैं, जिनमें कांग्रेस के 11 व भाजपा के चार विधायक हैं। 59 सीटें एससी/एसटी के लिए आरक्षित हैं। राजपूत समुदाय 25 सीटों को प्रभावित करता है। उससे ज्यादा असर जाट समुदाय का है।
दो दशक से सत्ता बदलती रही

राजस्थान में दो दशक से चुनाव के साथ सत्ता बदलती रही है। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 200 में से 100 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। भाजपा को 73 सीट ही मिली थी। बसपा-6, माकपा-2, आरएलपी-3, बीटीपी -2, रालोद-1 और 13 निर्दलीय जीते थे। हालांकि, छह माह के भीतर हुए लोकसभा की सभी 25 सीटें एनडीए ने जीती थी, इनमें भाजपा को 24 व सहयोगी आरएलपी को एक सीट मिली थी।

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