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अगर ऐसा हुआ तो पूरे परिवार के साथ रामपुर छोड़ दूंगा? भावुक होकर आखिर ऐसा क्यों बोले आजम ….

रामपुर में आजम खां ने कहा कि हमने कितनी बड़ी तहरीक चलाई थी बाबरी मस्जिद की, लेकिन किसी हिंदू देवी-देवता के खिलाफ तौहीन का एक लफ्ज भी नहीं कहा। यदि कहा हो तो दिखा दो, पूरे परिवार संग रामपुर छोड़ दूंगा

सपा नेता आजम खां ने कहा कि हमने कितनी बड़ी तहरीक चलाई थी बाबरी मस्जिद की, लेकिन किसी हिंदू देवी-देवता के खिलाफ तौहीन का एक लफ्ज भी नहीं कहा। यदि कहा हो तो दिखा दो, पूरे परिवार के साथ रामपुर छोड़ दूंगा और कभी शक्ल नहीं दिखाऊंगा। ऐसा क्यों किया हमने, क्योंकि मेरा दीन कहता है कि किसी दूसरे मजहब की तौहीन न करो। हमारे नबी को क्या-क्या नहीं कहा गया, लेकिन हमारे नबी ने कभी इंतकाम नहीं लिया। हमारे नबी ने कहा कि या अल्लाह इन्हें माफ कर दे। ये नादान हैं। ये नहीं जानते। इन्हें अक्ल दे।

रामपुर लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा प्रत्याशी आसिम राजा की हिमायत में किला मैदान में आजम खां ने जनता को संबोधित किया। उन्होंने हुजूर की शान में गुस्ताखी को लेकर कहा कि उस बदनसीब का साथ मत दो। उसे उसके नसीब पर छोड़ दो। रसूल की शान तो बहुत बड़ी है। अपने शहर, रिश्ते को उसी तरह जोड़कर रखो, जितना 1942 से अब तक जोड़कर रखा है। यहां कभी हिंदू-मुसलमान के बीच झगड़ा नहीं हुआ। कहा कि याद करो वो वक्त जब मक्का मदीना की गलियों में लोग रोते थे और कहते थे कि आज खत्म हो गया इस्लाम। दीन खत्म हो गया, क्योंकि मोहम्मद चले गए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अपने नबी की हिफाजत वो करेगा जो सातवें आसमान में रहता है।

कहा कि कैसा भयानक कोरोना हुआ था, लेकिन मैं वापस लौटकर आया हूं, तो तुम्हारे लिए। मैं आज भी तुम्हारी मोहब्बतों का कर्जदार हूं। मुझे मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन मेरे कत्ल का इल्जाम नहीं लेना चाहते थे। उनका मंसूबा था कि सीतापुर जेल से तीन जनाजे बाहर निकलेंगे। उन्होंने नवाबों और अंग्रेजों के दौर को भी याद किया। उसने हमारे साथ जो किया था वो साजिशें आज भी जारी है। तुम्हारी तबाही और बर्बादी के मंसूबे आज भी तैयार होते हैं। उन्हें कामयाब मत होने देना। अपने आप को हरगिज कमजोर मत समझना। मेरे ऊपर जब पहला मुकदमा हुआ था तो मैं भी कुछ कर सकता था। मेरे ऊपर भैंस चोर, बकरी चोर, किताब चोर, डकैती जाने कैसे कैसे इल्जाम लगा दिए। मेरा बेटा दो साल जेल काटकर आया। मेरी बीबी एक साल तक जेल में रहीं, किसकी खातिर। हां, एक गुनाह है कि तुम्हारे हाथों और बच्चों के हाथों में कलम देने की कोशिश की

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