सरकारी योजनाओं ने खूब भरी उड़ान- फिर भी पूर्व प्रधान पति की दबंगता के चलते नहीं हुआ कैराना देहात आर्य पूरी का विकास…

कैरानाउत्तर प्रदेश में कुछ ही महीने बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं। गांव की सरकारों ने क्या कुछ किया, इसका मूल्यांकन ग्रामीण इन दिनों कर रहे हैं। गांवों में सरकारी योजनाएं उस तरह से उड़ान नहीं भर पाईं, जिस तरह से सरकार अपने नारे और स्लोगन के माध्यम से उनका प्रचार प्रसार करती है।आर्यपुरी देहात पूर्व प्रधान नही करा पाये बारात घर का विकास आज भी जर्जर हालत हो रही ह बारात घर की।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले प्रदेश भर में इन दिनों चुनाव से संबंधित सभी कार्यों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि मार्च के आखिर तक ग्राम पंचायत के चुनाव और अप्रैल तक जिला पंचायत का चुनाव हो सकता है। गांवों में लोग अब अपने गांव के वर्तमान हालातों पर चर्चा कर रहे हैं। गांवों में कुछ लोग अपने लिए सम्भावनाएं भी तलाश रहे हैं तो वहीं पूर्व में पांच साल तक गांवों के विकास की बात करके ग्राम पंचायत सदस्य, बीडीसी सदस्य, ग्राम प्रधान चुने गए लोगों ने क्या किया, उसका भी मूल्यांकन ग्रामीण कर रहे हैं

गांवों का अपेक्षानुरूप नहीं हो सका विकास।
अपने-अपने पक्ष में सम्भावित प्रत्याशी बना रहे माहौल
इस वक्त गांवों में पूरी तरह से गहमागहमी का माहौल देखा जा सकता है। राजनीतिक दल भी इन चुनावों में अपने समर्थित प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं । देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने भी इस बार प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव में भी उम्मीदवारों का समर्थन का एलान पहले ही कर दिया है।

गांव के चौक चौराहों से लेकर चौपालों तक पर अब चुनावों को लेकर चर्चाओं का दौर है। लोग गांवों में कितना विकास हुआ, कितना नहीं हुआ, अब इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं। कहीं ग्रामीण संतुष्ट हैं तो कहीं सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने से वो नाखुश हैं।

गांव-गांव पहुंच रही है मीडिया ने ग्रामीणों से रूबरू होकर यह जानने की कोशिश की जा रही है कि आखिर पिछले 5 साल में उनके गांव में कितने हालात सुधरे. ये भी समझा जा रहा है कि बुनियादी तौर पर क्या बदलाव आया। नाली, खड़ंजा और गंदगी से गांव को कितनी निजात मिली। सरकार के स्वच्छ भारत मिशन अभियान को लेकर गांव में कितना परिवर्तन आया। यानी गांवों की सूरत कितनी बदली।

मीडिया के सामने लोग अपनी समस्याएं गिनाते मिले। वहीं कुछ लोग जरूर यह मानते हैं कि कैराना देहात में विकास हुआ है, लेकिन इतना नहीं हुआ जितना कि उन्हें उम्मीद थी। आज भी अधिकतर कैराना देहात में साफ-सफाई पर गांव की सरकार विशेष ध्यान नहीं दे पाई है।

संक्रामक बीमारियों के फैलने का बढ़ा खतरा. नहीं दी गई विकास को तरजीह

गांव की सरकार चलाने का जिम्मा सम्भालने वालों ने क्या कुछ विकास किया, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि एक तो कैराना देहात में अभी भी सबकुछ ठीक नहीं हो पाया। मतलब ये कि अभी भी कैराना देहात की दिशा और दशा नहीं सुधरी।आर्य पूरी देहात वासियो का कहना ह की चुनाव के टाइम पर ही प्रधान वादे करते है जो पूरा नही कर पाते ।

रिपोर्ट-
अल्ताफ चौधरी
शामली

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