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26 साल पुराने मामले में पुलिस के उत्पीड़न से तंग आकर 92 वर्षीय बुजुर्ग ने दी जान! पुलिस ने….

गोरखपुर के बड़हलगंज में 26 साल बाद मारपीट के मामले में एक बार फिर जेल जाने के डर से 92 साल के बुजुर्ग को ऐसा सदमा लगा कि उसने दम तोड़ दिया। मुकदमे की तारीख पर न जाने से बुजुर्ग के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी हुआ था। दो दिन पहले बड़हलगंज थाने के एक सिपाही ने बुजुर्ग के घर जाकर एनबीडब्ल्यू की जानकारी दी थी और कोर्ट में पेश होने को कहा था। उसी के बाद बुजुर्ग को सदमा लगा।

हालांकि बुजुर्ग की बेटी व दामाद ने काफी समझाया कि उम्र का ख्याल रखते हुए उन्हें जमानत मिल जाएगी, जेल नहीं जाना पड़ेगा पर बुजुर्ग को पहली बार जेल में काटी गई रात ने डरा दिया था और उसी सदमे में जान चली गई। बड़हलगंज कस्बा के पुराना गोला मुहल्ला निवासी 92 वर्षीय भिखारी भुज भूजा भूजने का काम करते थे।

उनकी तीन बेटियां थीं। इनमें से दो की मौत हो गई है जबकि एक बेटी और दामाद देखभाल में साथ रहते थे। वर्ष 1996 क्राइम नम्बर 427/96 धारा 147,323,452 आईपीसी यानी घर में घुसकर मारपीट का केस उन्हीं की पट्टीदारी की एक महिला ने दर्ज कराया था। इस मामले में भिखारी भुज को पुलिस ने गिरफ्तार किया था कुछ दिन जेल में काटनी पड़ी थी। जमानत पर छूटने के बाद मुकदमा की तारीख देखना उन्होंने धीरे-धीरे छोड़ दिया था।

बड़हलगंज, कोतवाल, मधुप कुमार मिश्र ने कहा कि 1996 के मारपीट के मुकदमे में एनबीडब्लू जारी हुआ था। इसकी की उन्हें सूचना दी गई थी। वह बुजुर्ग थे 92 साल उनकी उम्र हो गई थी। उम्र के अंतिम पड़ाव में थे। ऐसे में बीमारी से भी मौत हो सकती है। जेल जाने के सदमे से मौत हुई है।

सीधे एनबीडब्ल्यू देने पर पुलिस कठघरे में
कसी मुकदमे में अगर तारीख पर अभियुक्त या गवाह नहीं पहुंचते हैं तो उन्हें सीधे एनबीडब्ल्यू नहीं जारी होता है। पहले समन वारंट जारी होता है फिर जमानती वारंट जारी होता है और उसके बाद एनबीडब्ल्यू जारी किया जाता है। समन दो से तीन बार जारी होता है। लेकिन पुलिस अक्सर वारंट या फिर जमानती वारंट न पहुंचाकर सीधे गैर जमानती वारंट लेकर पहुंच जाती है। नियमानुसार पुलिस को वारंट से ही सूचना देना चाहिए।

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