पश्चिम बंगाल भाजपा में सब ठीक चल रहा है? दरअसल यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पार्टी के पूर्व राज्य प्रमुख मंगलवार को अचानक मार्च ‘खत्म’ कर चले गए। हम बात कर रहे हैं दिलीप घोष की। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिवालय तक मार्च के बीच उस समय भ्रम की स्थिति पैदा हो गई जब एक जुलूस का नेतृत्व कर रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने पुलिस और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के बाद “नबन्ना रैली समाप्त” करने की अचानक घोषणा कर दी और उस स्थल से वापस चले गए
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोष ने रैली समाप्त करने की घोषणा उस समय की जब अपराह्न लगभग ढाई बजे सचिवालय ‘नबन्ना’ की ओर जा रहे जुलूस को रबींद्र सेतु (हावड़ा ब्रिज) के पास पुलिस ने रोक दिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछार और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया। तृणमूल कांग्रेस सरकार के कथित भ्रष्टाचार के विरोध में भाजपा ने अलग-अलग नेताओं के नेतृत्व में अलग-अलग जगहों से तीन जुलूस निकाले।
जब नबन्ना अभियान समाप्त करने की घोष की घोषणा के बारे में भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को बताया गया तो उन्होंने कहा, ‘‘दिलीप दा का जुलूस पुलिस ने रोक दिया होगा और वह समाप्त हो गया, लेकिन अन्य जुलूस जारी हैं।’’ पुलिस ने मजूमदार की रैली को भी रोक दिया और वह विरोध में सड़क पर बैठ गए। बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। घोष ने बाद में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि मीडिया ने उनकी टिप्पणी को गलत समझा।
भाजपा की प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘जैसे ही पुलिस ने हावड़ा ब्रिज के पास मेरे नेतृत्व वाले जुलूस को रोकने के लिए बर्बर बल का इस्तेमाल किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए, मैंने घोषणा की कि नबन्ना तक हमारा मार्च समाप्त हो गया है। मैंने अन्य जुलूसों के बारे में बात नहीं की।’’ घोष ने कहा, “प्रतिपक्ष के नेता शुभेन्दु अधिकारी और सांसद लॉकेट चटर्जी को रैली शुरू होने से पहले हिरासत में लिया गया था, लेकिन हम और अन्य नेता जमीन पर थे तथा हम सभी इस मुद्दे पर एकजुट हैं।”
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि घोष ने यह टिप्पणी तब की जब कॉलेज स्क्वायर इलाके से उनके नेतृत्व में शुरू हुए जुलूस को पुलिस ने बल प्रयोग कर रोक दिया। भट्टाचार्य ने कहा, “चूंकि हावड़ा और कोलकाता में अलग-अलग जगहों से प्रत्येक रैली का नेतृत्व करने के लिए एक वरिष्ठ नेता को जिम्मेदारी दी गई थी, इसलिए दिलीप-दा के लिए कहीं और विरोध जारी रखना संभव नहीं था। इसमें और कुछ नहीं देखा जाना चाहिए।” तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की।