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राज्यसभा चुनाव से पहले खरीद-फरोख्त का डर, शिवसेना ने ”गुप्त होटल” भेजे….

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने दस जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले अपने विधायकों को उपनगरीय मलाड के एक रिजॉर्ट से दक्षिण मुंबई के एक पांच सितारा होटल में स्थानांतरित करने का फैसला किया है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिवसेना के सभी विधायकों को मुंबई तलब किया गया है और वे दस जून को राज्यसभा चुनाव होने तक साथ रहेंगे।

शिवसेना विधायक एवं प्रवक्ता सुनील प्रभु ने कहा, “हम ‘द रिट्रीट’ (उत्तर-पश्चिमी मुंबई स्थित मड आइलैंड का रिजॉर्ट) में थे और हमारे सभी मंत्री भी वहां मौजूद थे। यह हमारी चुनावी रणनीति का हिस्सा था। हम आज ‘द ट्राइडेंट’ (दक्षिण मुंबई में) होटल चले जाएंगे।” ‘द ट्राइडेंट’ होटल महाराष्ट्र विधानसभा से कुछ ही दूरी पर स्थित है, जहां राज्यसभा की छह सीटों के लिए मतदान होना है। 288 सदस्यीय सदन में शिवसेना के 55 विधायक हैं। पार्टी के एक विधायक का बीते महीने हार्ट अटैक से निधन हो गया था। मुख्यमंत्री एवं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने सोमवार को अपनी पार्टी के सभी विधायकों और उसका समर्थन करने वाले अन्य सदस्यों से मुलाकात की थी।

दो दशक से अधिक समय के बाद महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में टक्कर देखने को मिलेगी, क्योंकि छह सीटों के लिए सात उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। शिवसेना ने दो उम्मीदवारों-संजय राउत और संजय पवार को मैदान में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और धनंजय महादिक को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस से इमरान प्रतापगढ़ी चुनावी मैदान में हैं। छठी सीट के लिए पवार और महादिक के बीच मुकाबला है। विधानसभा के गणित के हिसाब से भाजपा के पास दो सीटें जीतने के लिए पर्याप्त मत हैं, जबकि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस एक-एक सीट हासिल कर सकती हैं।

राज्य की महा विकास आगाडी (एमवीए) सरकार में शामिल शिवसेना (55), राकांपा (52) और कांग्रेस (44) मिलकर शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकती हैं। राकांपा के दो विधायक-अनिल देशमुख और नवाब मलिक जहां जेल में हैं, वहीं 288 सदस्यीय सदन में एक सीट खाली है। चार प्रमुख दलों के अलावा महाराष्ट्र विधानसभा में 25 निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक भी मौजूद हैं। शिवसेना ने विपक्षी दल भाजपा पर ‘खरीद-फरोख्त’ और निर्दलीय विधायकों पर दबाव बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाने के बाद अपने विधायकों को एक जगह रखने का फैसला किया है।

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