Farmersprotest: बारिश के बाद जगह-जगह हुआ कीचड़ फिर भी डटे रहे किसान….

  • दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों को हाड़ कंपाने वाली ठंड के बाद शनिवार को हल्की बारिश की सौगात मिली।
  • हालांकि बारिश इतनी तेज नहीं थी लेकिन वहां मौजूद किसानों को परेशानी देने के लिए पर्याप्त थी. बारिश से…

नई दिल्ली: दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों को हाड़ कंपाने वाली ठंड के बाद शनिवार को हल्की बारिश की सौगात मिली। हालांकि बारिश इतनी तेज नहीं थी लेकिन वहां मौजूद किसानों को परेशानी देने के लिए पर्याप्त थी. बारिश से सड़को पर कीचड़ हो गई, जिससे फिसलन हो गई और किसानों को दोपहिया वाहन चलाने में खास दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

शनिवार को किसान आंदोलन का 38वां दिन था। सोनीपत नगर निगम के वॉलिन्टियर्स और स्वच्छता कार्यकर्ता सिंघु बॉर्डर पर सड़को के कीचड़ और कचरे को लगातार साफ करते रहे औऱ इस बीच सूरज भी लुका-छुपी खेलता रहा। लोगों धूप से मिलने वाली राहत से भी वंछित रहे।

बैठने के गद्दे भी हुए गीले

जिन गद्दों पर किसान बैठते हैं और बैठकर मुख्य मंच के पास अपने नेताओं के भाषण सुनते हैं, वे बारिश के कारण गीले हो गए। जिससे मंच पर दिन के निर्धारित कार्यक्रमों में देरी हुई। वॉलिन्टियर्स को बैठने की व्यवस्था करने के लिए या तो गीले गद्दे हटाने पड़ते या उन्हें तिरपाल की चादर से ढकना पड़ता।

बारिश के कारण खाना पकाने में रही है बहुत दिक्कत

बारिश के होने से मुख्य रूप से सिंघू, टिकरी, यूपी गेट और चिल्ला सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों को खाना पकाने, भोजन परोसने और अन्य सुविधाएं प्रदान करने में शामिल सैकड़ों वॉलिन्टियर्स को असुविधा हुई। सिंघु सीमा पर मौजूद किसानों ने कहा कुछ टेंट, जहां भोजन तैयार किया जाता है और सूखा राशन संग्रहीत किया जाता है, लीक होने लगा और इससे खाना पकाने की प्रक्रिया में देरी हुई।

खाना बनाने की लकड़ियां हुई गीली

पंजाब के मनसा से सिंघू सीमा पर लंगर सेवा में एक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहे साहब सिंह ने कहा, “खाना बनाना भी कठिन हो गया क्योंकि लकड़ी के लॉग सड़कों पर जमा हो गए और उनमें से कई गीले हो गए। किसी तरह सूखे लकड़ी के लॉग और रसोई गैस सिलेंडर का इंतजाम किया गया। लेकिन असली समस्या तब शुरू हुई जब हमने भोजन परोसना शुरू किया। जिस मैट पर हम लोगों को खाना खिलाया गया था वह पूरी तरह से भीग गया था। लोगों को कीचड़ भरे रास्तों पर खड़े होकर खाना खाना पड़ा।”

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