नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 94वां दिन है। पिछले तीन महीन से अधिक समय जारी इस गतिरोध का फिलहाल कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। एक तरफ किसान जहां अपनी मांगों पर डटे हैं वहीं सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं।
रविदास जयंती और शहीद चंद्रशेखर आजाद के शहादत दिवस पर आज किसान ‘मजदूर किसान एकता दिवस’ मनाने का ऐलान किया है। वहीं 28 फरवरी को किसान संगठनों की अहम बैठक होने वाली है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।
इसके साथ ही किसानों ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक साइकिल मार्च निकालने का ऐलान किया है। इस दौरान 20 राज्यों के लोगों को जागरूक किया जाएगा। 12 मार्च को इस साइकिल यात्रा की शुरूआत की जाएगी।
इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के एकबार फिर बातचीत का न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि भीड़ एकत्र करने से कानून नहीं बदलते। उन्होंने कहा कि किसान यूनियन बताएं कि इन कानूनों में किसानों के खिलाफ क्या है और सरकार उसमें संशोधन करने को तैयार हैं। वहीं किसान संगठनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का सरकार का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है।
आपको बता दें कि खुद प्रधानमंत्री मोदी किसानों से कृषि कानून पर चर्चा और इसमें बदलाव की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी मंडियों पर भी कोई पाबंदी नहीं है। इतना ही नहीं इस बजट में इन मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री का कहना है कि कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ। ये सच्चाई है। इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी पर खरीद भी बढ़ी है। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की, ‘आइये, बातचीत की टेबल पर बैठकर चर्चा करें और समाधान निकालें।’