शेख हसीना ने कहा तीस्ता नदी परियोजना पर हम भारत और चीन के बेहतर प्रस्ताव का मूल्यांकन करेंगे..

भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी कंजर्वेशन प्रोजेक्ट पर बातचीत चल रही है..
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर पिछले सप्ताह भारत की यात्रा कर चुकी बांग्लादेश प्रधानमंत्री हसीना ने अपनी यात्रा को ‘बहुत उपयोगी’ बताया और कहा कि भारत के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनकी वार्ता के परिणाम मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और सहयोग के नये रास्ते खोलने में ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ निभाएंगे, भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी कंजर्वेशन प्रोजेक्ट पर बातचीत चल रही है. इसे लेकर बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इसपर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भड़की हुई हैं, पहले भी ममता ने ढाका और नयी दिल्ली तीस्ता समझौते का विरोध किया था,जानिए, क्या है तीस्ता नदी का पूरा मामला.
भारत से एक टीम जल्द ही बांग्लादेश में तीस्ता नदी परियोजना पर बात करने के लिए ढाका जा सकती है…(Headlines ) प्रधानमंत्री हसीना ने कहा, ‘हमने तीस्ता परियोजनाएं शुरू कीं, चीन ने प्रस्ताव दिया है और भारत ने भी. हम दोनों प्रस्तावों का मूल्यांकन करेंगे और हमारे लोगों के हितों के संदर्भ में जो सबसे अधिक लाभकारी और स्वीकार्य होगा, उसे स्वीकार करेंगे, भारत से एक टीम जल्द ही बांग्लादेश में तीस्ता नदी परियोजना पर बात करने के लिए ढाका जा सकती है. दोनों देश तीस्ता नदी पर लंबे समय से बात करते आए हैं. हालांकि इसमें बार-बार रुकावट आती रही. इस बार भी पश्चिम बंगाल की सीएम नाराज हैं.उन्होंने इसका विरोध करते हुए कहा कि बंगाल को शामिल किए बगैर बांग्लादेश से ऐसा कोई समझौता नहीं हो सकता,नदी पर पश्चिम बंगाल का विरोध सुनने पर लगता होगा कि तीस्ता नदी पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच से होकर बहती है, लगभग 4 सौ किलोमीटर लंबी नदी हिमालय के पौहुनरी पहाड़ से निकलती है, जो सिक्किम से सटा हुआ है. यहां से तीस्ता पश्चिम बंगाल से होते हुए बांग्लादेश चली जाती है, जहां आगे ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है. नदी का 3 सौ किलोमीटर से ज्यादा बड़ा हिस्सा हमारे पास है, जबकि सौ किलोमीटर से कुछ ज्यादा हिस्सा बांग्लादेश में है.
दरअसल, चीन ने बांग्लादेश को लुभावना प्रपोजल दिया हुआ है.

बांग्लादेश के अधिकारियों के अनुसार, चीन ने 2020 में तीस्ता नदी पर गाद निकालने के एक बड़े कार्य और भारत की किसी भी भूमिका के बिना जलाशयों और तटबंधों के निर्माण का प्रस्ताव रखा था,लेकिन बांग्लादेश इस परियोजना पर आगे नहीं बढ़ा है,दूसरी तरफ चीन भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहा है,यहां तक कि हसीना अगले महीने वहां का दौरा करने जा रही हैं ताकि प्रोजेक्ट पर बात हो सके,दरअसल, चीन ने बांग्लादेश को लुभावना प्रपोजल दिया हुआ है कि वो इस प्रोजेक्ट के कुल खर्च का 15 प्रतिशत खुद वहन करेगा, जबकि बाकी खर्च कर्ज होगा. फिलहाल हसीना ने इस पर कुछ भी सीधा कहने से बच रही हैं कि वो भारत या चीन में से किसका प्रस्ताव मानेंगी, और किसे टालेंगी. भारत के लिए ये योजना इसलिए भी अहम है कि अगर बांग्लादेश बीजिंग को हामी भर दे तो उस देश से सटी भारतीय सीमा पर चीन की मौजूदगी बढ़ जाएगी.
पश्चिम बंगाल के विरोध के चलते प्रोजेक्ट बार-बार अटक जाता है…

भारत से वैसे तो बांग्लादेश से अच्छे संबंध है, लेकिन पश्चिम बंगाल के विरोध के चलते प्रोजेक्ट बार-बार अटक जाता है. इस बार भी वहां की सीएम नाराजगी जता रही हैं. किसी भी मेगा परियोजना पर जब तक उस राज्य की हामी न हो, काम नहीं हो सकता,ऐसे में एक बार फिर ये संभावना दिख रही है कि अंजाम साल 2011 की तरह ही हो. पश्चिम बंगाल की सीएम का कहना है कि वे अपने राज्य के हित में ऐसा कर रही हैं. उनका आरोप है कि जल-बंटवारे की वजह से बंगाल में कटाव, बाढ़ और गाद की समस्याएं बढ़ने लगीं,ऐसा नहीं है कि ये विरोध पहली बार है. साल 2011 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान ये समझौता होना था. टीम में ममता भी शामिल थीं, लेकिन न केवल उन्होंने जाने से इनकार कर दिया, बल्कि समझौता भी टल गया. उनका कहना था कि इससे बंगाल के उत्तरी हिस्से में पानी घट जाएगा. बता दें कि गंगा के बाद तीस्ता पश्चिम बंगाल की दूसरी बड़ी नदी है. आरोप है कि इसपर बांध बनाने से पानी का प्रवाह सीमित हो जाएगा.
अगर ड्रैगन किसी भी तरह ढाका को अपनी तरफ मोड़ ले तो सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता है…(Headlines)..
कई विश्लेषकों ने कहा कि इस परियोजना में चीन की भागीदारी प्रमुख साझा नदी पर भारत-बांग्लादेश विवाद को जटिल बना सकती है,वर्ष 2009 में अवामी लीग सरकार के सत्ता में लौटने के बाद से तीस्ता जल बंटवारे के समझौते पर बातचीत चल रही है, जबकि हसीना ने आज कहा कि ‘बांग्लादेश का भारत के साथ तीस्ता नदी जल बंटवारे को लेकर एक पुराना मुद्दा है,हसीना ने साथ ही कहा कि बांग्लादेश का भारत के साथ 54 साझा नदियों के जल बंटवारे को लेकर एक पुराना मुद्दा है, लेकिन उन्होंने कहा कि ‘अगर समस्याएँ हैं, तो समाधान भी हैं, क्रॉस-बॉर्डर रिवर इश्यू दो पड़ोसी देशों में आम है. ऐसे में अगर ड्रैगन किसी भी तरह ढाका को अपनी तरफ मोड़ ले तो सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता है.
रिपोर्ट:-अमित कुमार सिन्हा

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