लोकसभा सचिवालय की हठधर्मिता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अयोग्य ठहराये गए सांसद मोहम्मद फैजल….

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य किए जाने के बाद विपक्षी दल सरकार के खिलाफ आंदोलनरत है। वहीं, लक्षद्वीप से सांसद रहे मोहम्मद फैजल ने लोकसभा सचिवालय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें उन्हें 10 साल की सजा पर संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराने वाली अधिसूचना को वापस नहीं लिया गया था, जिस पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

लोकसभा सचिवालय द्वारा 13 जनवरी को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, कवारत्ती में एक सत्र अदालत द्वारा हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराया गया। दोष सिद्ध के चलते फैजल लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हो गए। अधिवक्ता के आर शशिप्रभु के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में फैजल ने कहा कि लोक सभा सचिवालय इस तथ्य के बावजूद अधिसूचना वापस लेने में विफल रहा कि उच्च न्यायालय ने 25 जनवरी को उसकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी।

यह है पूरा मामला
हत्या के प्रयास के इस मामले में साल 2009 में केस दर्ज किया गया था। मामले से जुड़े वकील ने बताया कि जब 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान पदनाथ सालिह अपने पड़ोस में एक राजनीतिक मामले में दखल देने पहुंचे थे। इसी दौरान एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल और उनके साथियों ने पदनाथ सालिह पर हमला कर दिया। वहीं दोषी ठहराए गए सांसद मोहम्मद फैजल ने कहा कि राजनीति के तहत उन्हें फंसाया गया है। निचली अदालत ने 11 जनवरी को इस मामले में दोषी ठहराते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। बाद में, उच्च न्यायालय ने फैजल की दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगा दी, जिसने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। जनवरी में, उच्च न्यायालय के 25 जनवरी के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसने उसके समक्ष अपील के निस्तारण तक उसकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था।

मामले में कुल 37 आरोपी थे
मामले में 37 आरोपी थे। उनमें से दो की मौत हो गई थी और उनके खिलाफ मुकदमा खत्म हो गया था। शेष 35 में से अयोग्य सांसद और उनके भाई सहित चार आरोपियों को दोषी ठहराया गया और 10 साल कैद की सजा सुनाई गई, जबकि बाकी को बरी कर दिया गया।

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