समाज से खिन्न होकर यति नरसिंहानंद का सार्वजनिक जीवन छोड़ने का ऐलान बोले अब सिर्फ धर्म …

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने धर्म संसद से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने जिहाद के खिलाफ कोई धर्म संसद आयोजित न करने का ऐलान करते हुए कहा कि अब उन्होंने धार्मिक जीवन जीने का फैसला किया है।

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने धर्म संसद से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने जिहाद के खिलाफ कोई धर्म संसद आयोजित न करने का ऐलान करते हुए कहा कि वह और उनके शिष्यों ने अब सार्वजनिक जीवन छोड़कर धार्मिक जीवन जीने का फैसला किया है।

गुरुवार को हरिद्वार में मीडिया को जारी बयान में नरसिंहानंद ने कहा कि धर्म संसद को लेकर उन्हें अपनों के बीच ही अपमानित होना पड़ा है। इसलिए उन्होंने अब कोई भी धर्म संसद नहीं करने का फैसला लिया है। उन्होंने मुद्दों को समाज का साथ नहीं मिल पाने पर वसीम रिजवी से माफी भी मांगी।

यति नरसिंहानंद ने कहा कि जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी के सम्मान के लिए खुद एक महीने जेल में रहकर आए। वसीम रिजवी की जमानत के लिए चार महीने से ज्यादा कानूनी लड़ाई लड़ी। इस पूरी लड़ाई में हिंदू समाज की जितेंद्र त्यागी जैसे योद्धा के प्रति उदासीनता से खिन्न होकर उन्होंने अपने बचे हुए जीवन को महादेव के महायज्ञ और योगेश्वर श्रीकृष्ण की श्रीमद्भगवद् गीता को समर्पित करने का संकल्प लिया है।

यति नरसिंहानंद हिन्दू समाज से खिन्न
धर्मसंसद आयोजित कर हिन्दूओं को जागरूक करने का प्रयास करने वाले महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी अपने ही समाज से बेहद नाराज हैं। 25 साल से संघर्ष कर रहे यति का कहना है कि, वे किसके लिए लड़ रहे हैं, इसका पता ही नहीं चल पा रहा है। जिस समाज के लिए वे लड़ रहे हैं उसने ऐसे समय में हमें अनदेखा किया, जब सरेआम एक समाज उनकी हत्या की साजिश रच रहा है।

मीडिया से बातचीत में नरसिंहानंद ने कहा कि, हिन्दू धर्म की दुर्दशा के जिम्मेदार संत ही हैं। क्योंकि हिन्दुओं पर जुल्म के खिलाफ संत कभी मुंह नहीं खोलते। मेरी हत्या करने पर ईनाम रखे गए है। संत चुप बैठे हंै। वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी की जमानत के लिए संत आगे नहीं आए। तो उन्हें अपने परिवार के लोगों को जमानत देने के लिए कोर्ट भेजना पड़ा। यति नरसिंहानंद ने कहा कि धर्म संसद के नाम पर कई ऐसे फ्रॉड है जो हिन्दुओं के लिए लड़ने की कोरी बात कर रहे है। ऐसे संत और समाज के लिए लड़ने का कोई फायदा नहीं है।

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