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किया बिहार की सत्ता में होगा बड़ा उलटफेर?JDU की राष्ट्रीय कार्यकारणी की मीटिंग आज-6 विधायक टूटने पर….

  • अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के 6 विधायकों ने पार्टी से बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया है. अरुणाचल प्रदेश में पार्टी के 7 विधायकों में से 6 विधायकों के पार्टी से बगावत करने के संबंध में जब जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये सब कोई बात नहीं है. 26 और 27 दिसंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की मीटिंग है. इससे पहले वो लोग अलग हो गए हैं.

अरुणाचल प्रदेश में जनता दल यूनाइटेड के छह विधायक भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों पार्टियों के रिश्तों पर फिलहाल कोई असर भले न पड़े, पर भाजपा के इस कदम ने गठबंधन में अविश्वास की नींव डाल दी है। जदयू महासचिव केसी त्यागी कहते है कि यह गठबंधन धर्म की भावना के खिलाफ है।

जदयू के लिए यह बात समझ से परे है कि बिहार में गठबंधन के बावजूद भाजपा ने यह फैसला क्यों किया। केसी त्यागी का कहना है कि जदयू अरुणाचल प्रदेश में दोस्ताना विपक्ष था। दोनों पार्टियां एनडीए के हिस्सा हैं। ऐसे में यह क्यों हुआ, भाजपा ही बता सकती है।

दरअसल, पूर्वोत्तर में भाजपा लगातार खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। असम के बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के चुनाव में भाजपा ने सहयोगी बोडो पीपुल्स फ्रंट का साथ छोड़कर युनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और गण सुरक्षा पार्टी के साथ हाथ मिला लिया था। भाजपा की कोशिश खुद को और मजबूत करना है।

इसके साथ यह भी तर्क दिया जा रहा कि जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन सिर्फ बिहार तक सीमित है। वर्ष 2019 के अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जदयू 15 सीट पर चुनाव लड़ी थी और सात सीट जीतकर सभी को चौका दिया था। जदयू प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल था, क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी को सिर्फ चार-चार सीट हासिल हुई थीं।

राजनीतिक जानकार मानते है कि बिहार में दोनों पार्टियों के रिश्तों पर इसका कोई असर नही होगा, क्योंकि बिहार की स्थिति अलग है। पर दूसरे राज्यो में भाजपा को छोटे दलों के साथ गठबंधन पर इसका असर पड़ सकता है। क्योंकि अभी तक भाजपा विपक्षी पार्टियों के विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिला रही थी, यह पहला मौका है जब भाजपा ने सहयोगी दल के विधायक शामिल किए है।

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