
Closeup of an unrecognizable woman washing her hands under a tap at home during the day
कोरोना के वायरस से लोगों को संक्रमित होने से बचाने के लिए विशेषज्ञ बार-बार लोगों को साबुन या सैनिटाइजर से हाथ धोने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन हाल ही में एक सवाल लोगों के मन को परेशान कर रहा है कि आखिर कोरोना के इस वायरस से निजात पाने के लिए साबुन या सैनिटाइजर में से क्या ज्यादा बेहतर विकल्प है। तो आइए आपकी परेशानी दूर करते हुए आपको बताते हैं इसका सही जवाब।
वायरस तीन चीजों से मिलकर बनता है ।वायरस के तीन घटक होते हैं। न्यूक्लिक एसिड जीनोम, प्रोटीन और लिपिड की एक बाहरी मोटी परत। साबुन में फैटी एसिड और सॉल्ट जैसे तत्व होते हैं जिन्हें एम्फिफाइल्स कहा जाता है। साबुन में छिपे ये तत्व वायरस की बाहरी परत को निष्क्रिय कर देते हैं। करीब 20 सेकंड तक हाथ धोने से वो चिपचिपा पदार्थ नष्ट हो जाता है जो वायरस को एकसाथ जोड़कर रखने का काम करता है।
कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए एक अच्छे सैनिटाइजर को 60% अल्कोहल ग्रेड की आवश्यकता होती है। यदि किसी व्यक्ति ने छींकते या खांसते समय अपने हाथों का इस्तेमाल किया है। जिसके बाद वो थोड़ी मात्रा में हैंड सैनिटाइटर का इस्तेमाल करता है तो कीटाणु मिटाने के लिए यह पर्याप्त नहीं हो सकता है। ऐसे में 100 प्रतिशत अल्कोहल वाले सैनिटाइजर त्वचा पर बैक्टीरिया या वायरस को मारने से पहले ही जल्दी हवा में उड़ जाते हैं।
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक जेल, लिक्विड या क्रीम के रूप में मौजूद सैनिटाइजर कोरोना वायरस से लड़ने में साबुन जितना बेहतर नहीं है। सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाला साबुन इसके लिए ज्यादा बेहतर विकल्प है।