कोरोना से लखनऊ के अमीनाबाद दवा बाजार पर भी संकट छा गया है। थोक कारोबार में करीब 70 फीसदी की गिरावट आई है। हालत यह है कि दवा कारोबारी दुकानों के किराये और कर्मचारियों का वेतन तक नहीं दे पा रहे हैं।
दवा कारोबारियों का कहना है कि दो माह से ओपीडी बंद है। इससे भी फुटकर दुकानदारों की बिक्री घटी है। इमरजेंसी वाले ही दवाएं ले रहे हैं। फुटकर कारोबार कम होता है तो थोक कारोबार पर खुद असर आ जाता है। फुटकर में जितनी बिक्री हो रही है उतना स्टॉक लोगों के पास है। आसपास के ग्रामीण इलाके के दवा कारोबारी भी दवाई खरीदने नहीं आ रहे हैं।
उनका कहना है कि दवाओं की कीमत में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं की है। ऐसे में सरकार उन्हें प्रोत्साहन के नाम पर टैक्स और बिजली में कुछ छूट दे तो राहत मिलेगी। राजधानी में करीब 850 थोक दवा कारोबारी है। इसमें करीब 650 अमीनाबाद बाजार में हैं।
सामान्य दिनों में इनका रोजाना औसतन 25 से 30 करोड़ का कारोबार होता था, जो अब 8-10 करोड़ के बीच सिमट गया है। वहीं, शासनादेश के तहत कुछ दुकानें सुबह 6 से 9 बजे तक तो कई रात 8 से 11 बजे तक खुल रही हैं।
एक दिन में सिर्फ 40 दुकानें खोलने की अनुमति है। इससे दूसरी दुकानों का नंबर अगले दिन आता है। ऐसी स्थिति में एक दुकानदार को तीन दिन में एक शिफ्ट में दुकान खोलने का मौका मिल रहा है। वहीं, दुुकान पर काम करने वालों को वेतन देना भ्ाी मुश्किल हो रहा है।