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CORONA: दाह संस्कार की जगह शव के साथ हो रहा है खिलवाड़-मृतकों की गरिमा बनाए रखने को लेकर केंद्र और राज्यों से बोला NHRC..

नई दिल्ली

देश में कोरोना वायरस के मचे कोहराम के बीच कई राज्यों में शवों को नदियों में फेंके जाने, बालू में दबाने समेत कई मामले सामने आ रहे हैं। इन्हीं रिपोर्ट्स पर अब नेशनल ह्यूमन राइट कमिश्न (NHRC) हरकत में आया है। एनएचआरसी ने केंद्र सरकार और राज्यों को कोरोनो से मरने वालों की गरिमा बनाए रखने के लिए कानून बनाने के लिए कहा है।

यह भी सिफारिश की गई है कि परिवहन के दौरान सामूहिक अंत्येष्टि / दाह संस्कार या शवों का ढेर नहीं होना चाहिए क्योंकि यह मृतकों की गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है।

इस सिलसिले में एनएचआरसी ने गृह मंत्रालय, हेल्थ मिनिस्ट्री, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को विस्तृत एडवायजरी भेजी है। यह कहते हुए कि संविधान का अनुच्छेद-21 न केवल जीवित व्यक्तियों पर बल्कि मृतकों के लिए भी लागू है, आयोग ने कहा, “मृतकों के अधिकारों की रक्षा करना और शव पर अपराध को रोकना सरकार का कर्तव्य है।”

यूं तो भारत में मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई विशेष कानून नहीं है, एनएचआरसी ने बताया है कि कई अंतरराष्ट्रीय अनुबंध, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसले के साथ-साथ विभिन्न सरकारों द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों में कोविड के प्रोटोकॉल को बनाए रखने पर जोर दिया गया है।

एडवायजरी में कहा गया है कि प्रशासन बड़ी संख्या में कोरोना मौतों और श्मशान में लंबी कतारों को देखते हुए तत्काल अस्थायी श्मशान बनाएं।

कहा गया है कि स्वास्थ्य खतरों के लिए उत्पन्न होने वाले संभावित खतरों से बचने के लिए विद्युत शवदाहगृहों को बनाया जाना चाहिए।

एनएचआरसी ने कहा, ”परिवहन के दौरान या किसी अन्य स्थान पर शवों के ढेर की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और सामूहिक अंत्येष्टि / दाह संस्कार की अनुमति नहीं दी होनी चाहिए क्योंकि यह मृतकों की गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। श्मशान के कर्मचारियों को बॉडी को सही तरीके से छूने के बारे में संवेदनशील होना चाहिए।

इसके अलावा, उन्हें आवश्यक सुरक्षा उपकरण और सुविधाएं देने की आवश्यकता है ताकि वे बिना किसी डर या जोखिम के अपना कर्तव्य कुशलतापूर्वक निभा सकें

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