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UPCL के MD अनिल यादव को मिले सेवा विस्तार पर विवाद जारी

धामी सरकार द्वारा यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल यादव को 2 साल का सेवा विस्तार दिया गया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस लगातार हमलावर हो रही है। केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है कि भ्रष्टाचार के आरोपी अनिल यादव को सेवा विस्तार देकर सरकार साबित कर रही है वह भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है। इस मामले को तूल पकड़ते देख भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट बचाव मुद्रा में हैं। उनका कहना है कि वे सरकार से बात करेंगेे कि इस फैसले की समीक्षा हो। प्रदेश सरकार द्वारा अनिल यादव को सेवा विस्तार देने से 10 काबिल इंजीनियरों को इस पद की होड़ से बाहर होना पड़ा है। इनमें से कई अच्छे इंजीनियर और अफसर हैं जो यूपीसीएल की कार्यप्रणाली को बेहतर कर सकते थे और इस संस्थान को आगे ले जाने की क्षमता रखते हैं। इनमें संजय टम्टा और मदन राम आर्य चीफ लेवल वन, राजकुमार, मोहित जोशी, एनके बिष्ट, डीएस खाती और जसवंत सिंह, चीफ लेवल 2 शामिल हैं। इसके अलावा इस पद के लिए जलविद्युत निगम में भी कई काबिल अफसर यूपीसीएल एमडी पद के योग्य हैं। इनमें एससी बलूनी, जीएम, जीएस बुदियाल, जीएम और एके सिंह शामिल हैं। ये तीनों चीफ लेवल वन के अधिकारी हैं।
देहरादून में पत्रकारों के साथ बातचीत में BJP के प्रदेश अध्यक्ष और MP महेंद्र भट्ट ने कहा है कि यूपीसीएल के एमडी अनिल यादव को सेवा विस्तार देने के मामले में वह मुख्यमंत्री से बात करेंगे कि इस फैसले की समीक्षा हो। उन्होंने कहा कि तुरंत किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है लेकिन अनिल यादव को सेवा विस्तार मामले की समीक्षा की जानी चाहिए।

दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने अनिल यादव को सेवा विस्तार देने के मामले में धामी सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और इससे साबित होता है कि भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। सरकार ऐसे अफसरों को संरक्षण दे रही है जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। यदि योग्य को सेवा विस्तार मिल रहा है तो ठीक है लेकिन यदि आरोपी पर पहले से ही करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप है तो उसे किस आधार पर सेवा विस्तार मिला, यह विचारणीय है।
आपको बता दें कि गौरतलब है कि यूपीसीएल के एमडी अनिल यादव को प्रदेश सरकार ने दो साल का सेवा विस्तार दिया है। अनिल यादव अपने कार्यकाल में विवादों में रहे हैं। उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप है। आय से अधिक संपत्ति जुटाने के आरोप हैं। उनके पुत्र की कंपनी भी निशाने पर है। पुत्र की कंपनी के खिलाफ पिटकुल के 23 करोड़ के टेंडर को लेकर मुकदमे दर्ज हैं अब देखना यह है कि सरकार इनके सेवा विस्तार के फैसले को पलटती है या तमाम विरोध के बावजूद अनिल यादव कुर्सी पर बने रहेंगे

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