कांग्रेस नेता संजीव कुमार का बयान, गांधी जी एक विचार हैं ओर विचार कभी नहीं मरते…..

गांधी एक विचार हैं ओर विचार कभी मर नहीं सकते। गांधी जी का कद इतना बड़ा है कि उन्हें मारने के बाद भी हत्यारे आज तक उन्हें दफना नही पाए। वो कब्र खोदते हैं। खुद लेट कर देखते हैं, लेकिन उनके नाप की कब्र नही खोद पाते और गांधी जी का कद हर बार बढ़ जाता है। क्योंकि गांधी जी अहिंसा का विचार हैं।

इस संदर्भ में राष्ट्रीय नेता संजीव कुमार सिंह ने बताया कि गांधी जी को फिर मरने नही देंगे। गांधी जी भगवान नहीं, अवतार नही, नबी नही, जीसस भी नही है। वो एक मामूली इंसान थे। कुछ सोचता था, बोलता था। लोग सुनते थे, मान जाते थे, या नही भी मानते थे। फिर भी हम गांधी को पूजते हैं। मन्दिर में नही, हृदय में। माना कि गांधी जी ईश्वर नही, माना वह आलोचना से परे नहीं। क्यो हो, हम तो यहाँ ईश्वर की भी आलोचना करते है। श्रीराम द्वारा शम्बूक की हत्या पर, बाली को छुपकर मारने पर, स्त्री के त्याग पर। टिप्पणी कृष्ण पर भी करते हैं, सम्विधान पर भी। आलोचना से परे तो कोई नही। गांधी जी भी नही, पर तय तो हो के आलोचना किस बात की करेंगे? क्या सत्य बोलने के आग्रह पर, क्या अहिंसा के प्रण पर ?क्या हम भरोसे, मुस्कान, प्रेम और एकता के विचार के लिए गांधी का विरोध करेंगे, या भाईचारे के आग्रह पर? हो कहाँ पाता है आपसे। आप जब झूठ फैलाते है, तो खुद ही उसे “असली सच” का नाम देते हैं। सत्य का ढोंग ही सही, वो आपकी भी जरूरत है। फिर आप हिंसा चाहते हैं, पर उसे “नये स्वाधीनता संग्राम” का नाम देकर प्रतिष्ठित करते है, क्योकि बापू के स्वाधीनता संग्राम में आप दिखे नही कहीं। आप भी एकता चाहते हैं, पर अपने वर्ण, जाति के लोगो के बीच। क्योकि सेना बनानी है न आपको। एकता की बात, फायदेमंद दायरे में आप भी चाहते हैं। जब गांधी जी की शिक्षाओं से, उनके असर और व्यक्तित्व से न लड़ सके, तो आपने गांधी जी को ही खत्म कर दिया। इस उम्मीद में कि विचारों का ये झरना मिट जाए। वो गोडसे जो कर गया, कुछ अधूरा रह गया।लेकिन गांधी जी नही मिटा, वो बड़ा हो गया। इसलिए आप गोडसे का कद बढ़ा रहे हैं।नाथूरामो की संख्या बढ़ा रहे हैं।

श्री सिंह ने बताया कि गांधी जी एक विचार हैं ओर विचार कभी नहीं मरते। एक शताब्दी बाद भी आपकी मजबूरी है- गोडसे का समर्थन, हत्या का समर्थन, अपराध का समर्थन, निरीह वृद्ध की छातियों से रिसते लहू की कल्पना करते हैं। लेकिन विशाल गांधी ठठाकर हंसता है, और आप पिस्तौल उठाकर फिर-फिर कोशिश करते हैं। सम्भव है कि गोडसे अच्छा पुत्र, पिता, छात्र, या आपके संगठन का समर्पित कार्यकर्ता रहा हो। इस बात की प्रशंसा कर लीजिए। गुणों के आधार पर इस देश मे पूजा रावण की भी हो सकती है, महिषासुर की भी। जिन्ना की तस्वीर भी उनके विश्वविद्यालय में हो सकती है। मगर रावण द्वारा स्त्री अपहरण का प्रशंसक कोई नही, जिन्ना के बंटवारे की जिद का समर्थक कोई नही। गोडसे द्वारा गांधी की हत्या की प्रशंसा नही हो सकती। निहत्थे, प्रार्थना को जाते एक निःशंक, कृशकाय वृद्ध के पैर छूकर उसे मार डालना, कतई कायरतापूर्ण जघन्य, क्रिमिनल एक्ट था। इसकी इजाजत न हिन्दू धर्म देता है, न हमारा आत्मार्पित सम्विधान। इसलिए गांधी की आलोचना कीजिए, गाली नही देने देंगे। शरीर को मार डाला आपने, आत्मा छेदने की इजाजत नही होगी। देश, किसी की आलोचना पर सहिष्णु हो सकता है, हत्या पर नही। तो कान खोलकर सुन लो। हर गोडसे को सलाखों के पीछे डाला जाएगा। चौराहों पर घसीटा जाएगा। रायपुर से नागपुर तक, वो जहां छुपा बैठा हो, खोजकर अंजाम तक भेजा जाएगा। आप जितना जोर लगा सकते हो, लगा लो इस बार गांधी को मरने नही दिया जाएगा।

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