आज चुनाव चर्चा में हम बात करेंगे बिलासपुर जिले की एक महत्वपूर्ण सीट कोटा की। आजादी के बाद से जब कोटा विधानसभा अस्तित्व में आई तब से यह कांग्रेस पार्टी के कब्जे में रही है। यह रिकॉर्ड पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से आए रेणु जोगी ने तोड़ा और पहली बार कोटा विधानसभा किसी अन्य पार्टी के कब्जे में आई, लेकिन अब तक कोटा के इतिहास में कमल नहीं खिल पाया है। इस बार बीजेपी ने दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव के बेटे प्रबल प्रताप जूदेव को मौका दिया है और कांग्रेस से अतुल श्रीवास्तव का नाम लगभग तय माना जा रहा है। जेसीसीजे ने अभी तक कोटा विधानसभा से अपना पता नहीं खोला है। यहां अगर जेसीसीजे से कोई मजबूत उम्मीदवार सामने आता है तो मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। बीजेपी अभी तक मध्य प्रदेश से सटे कोटा विधानसभा में जीत नहीं दर्ज कर पाई है।कोटा विधानसभा सीट पर 1952 से अब तक 14 बार चुनाव हुए हैं। काशीराम तिवारी यहां से चुने गए पहले विधायक थे, जबकि उनके बाद मथुरा प्रसाद दुबे चार बार और राजेंद्र शुक्ला पांच बार विधायक चुने गए। मजबूत कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की मृत्यु के बाद 2006 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी से पूर्व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी विधायक चुनी गई थीं और तब से, 2018 को छोड़कर, कांग्रेस पार्टी यहां लगातार जीत रही है। 2018 में यहां से रेणु जोगी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी से विधायक बनीं।
कोटा विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी का मजबूत वर्चस्व रहा है। 1952 से अब तक 14 चुनावों में से 10 बार कांग्रेस पार्टी ने यहां जीत हासिल की है। हालांकि, 2018 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां जीत हासिल की थी।
2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। कांग्रेस पार्टी अपनी सीट बचाने की कोशिश करेगी, जबकि भाजपा पार्टी अपनी जीत को दोहराने की कोशिश करेगी।
कोटा विधानसभा सीट पर अन्य राजनीतिक दलों का प्रभाव भी है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी (JCC) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) जैसी पार्टियां भी यहां से चुनाव लड़ती हैं। हालांकि, इन पार्टियों ने अभी तक यहां कोई जीत हासिल नहीं की है।
कोटा विधानसभा सीट पर आने वाले विधानसभा चुनावों में कौन सी पार्टी जीतेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।