बीजेपी नेता पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद को जाना ही होगा जेल! सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 30 नवंबर तक ….

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को निर्देश दिया है कि वह इस महीने के आखिरी तक सरेंडर कर दें। कोर्ट ने कहा है कि रेप केस में उनके खिलाफ सुनवाई की जाएगी। धर्म गुरु से राजनेता बने चिन्मयानंद का केस बंद करने की कोशिश उत्तर प्रदेश सरकार दो बार कर चुकी है। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद सरकार केस बंद नहीं कर सकेगी।

जस्टिस बीआर गवई और विक्रम नाथ की बेंच ने कहा, केस वापस लेने की ऐप्लिकेशन को खारिज करके मजिस्ट्रेट ने अच्छा किया है। वहीं हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखकर और भी अच्छा काम किया है। चिन्मयानंद भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। उनपर शाहजहांपुर कॉलेज की एक एलएलबी की छात्रा से रेप करने का आरोप है। इस कॉलेज की नींव भी चिन्मयानंद ने ही डाली थी।

30 सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनपर से आपराधिक मुकदमा वापस लेने इनकार कर दिया था। सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने चिन्मयानंद के केस वापस लेने की अपील की थी। यह ऐप्लिकेशन सीआरपीसी की धारा 321 के तहत फाइल की गई थी। हालांकि शाहजहांपुर में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पहले ही इस याचिका को खारिज कर दिया था।

चिन्मयानंद की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील सिद्धार लूथरा ने कहा था उनकी उम्र बहुत हो चुकी है और पीड़िता ने इस याचिका का विरोध भी नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि हाई कोर्ट ने ऐसी कई बातें कही हैं जिनसे लगता है कि सुनवाई के वक्त उन्हें हर बार पेश होना पड़ेगा। हाई कोर्टने कहा था, हम राजनीतिक संबंधों, वित्तीय क्षमता, जाति, धर्म के आधार पर किसी याचिका पर विचार नहीं कर सकते। ऊपर से नीचे तक सबके लिए कानून बराबर ही होता है।

हाई कोर्ट ने कहा, धारा 321 के तहत केस तभी वापस लिया जा सकता है जब इसका उद्देश्य अच्छा हो और यह जनता की भलाई में हो। मौजूदा केस की बात करें तो 30 अक्टूबर तक आरोपी को सरेंडर कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपील को खारिज कर दिया और कहा, हम इस याचिका को स्वीकार नहीं कर सकते। हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हाई कोर्ट ने अगर कुछ आरोपी के बारे में कहा है तो हर बात सुनवाई के दौरान मायने नहीं रखेगी। लेकिन आरोपी को सरेंडर कर देना चाहिए। उम्र को देखते हुए उन्हें 30 नवंबर तक का समय दिया जाता है।

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