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बिलकिस बानो केस: दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर…

याचिका में छूट या समय से पहले रिहाई की प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता् का आह्वान किया गया है, खासकर ऐसे मामले में, जब संबंधित व्यक्ति घृणा अपराधों में दोषी हैं. यह याचिका आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुभासिनी अली और 2 अन्य की याचिका और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की एक अन्य याचिका के साथ सूचीबद्ध है.

गुजरात के बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ताओं में एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी मीरान बोरवांके, नौकरशाह मधु भादुड़ी और प्रोफेसर जगदीप छोकर शामिल हैं. याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गई है कि समय से पहले रिहाई या छूट के सभी आदेशों को राज्य सरकार की वेबसाइट पर आरटीआई अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से अपलोड किया जाना चाहिए.

बता दें कि राज्यों को जेल सलाहकार समितियों में एक बहुलवादी संरचना का प्रयास करने के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं, जो कि विविध प्रकृति का पर्याप्त रूप से समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. याचिका में छूट या समय से पहले रिहाई की प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता् का आह्वान किया गया है, खासकर ऐसे मामले में, जब संबंधित व्यक्ति घृणा अपराधों में दोषी हैं. यह याचिका आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुभासिनी अली और 2 अन्य की याचिका और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की एक अन्य याचिका के साथ सूचीबद्ध है.

ये है पूरा मामला

गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं. बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया. भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.

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