बिकरू कांड: 30 महीने बाद जेल से बाहर आते ही बोली खुशी! थाने में जो कुछ मेरे साथ हुआ नहीं बता सकती …..

बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे की शनिवार देर शाम रिहाई हो गई। जेल से रिहा होने के बाद खुशी ने कहा कि मुझे आज तक नहीं पता कि किस मामले में जेल गई थी। इसके बाइ वह सीधे अपने माता-पिता के घर चली गई। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर 30 महीने बाद माती जेल से रिहा हुई।

कानपुर देहात के बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे 30 महीने बाद शनिवार को जेल से बाहर आ गई। पूरे दिन चली जद्दोजहद के बाद अदालत ने उसका रिहाई परवाना जारी किया, तो परिजनों के चेहरे खिल गए। माती स्थित जिला कारागार से शाम करीब साढ़े सात बजे खुशी को जेल से बाहर निकाला गया।

इसके बाद उसे माती कारागार में रखा गया। इसी बीच इस मामले में नया मोड़ आ गया। खुशी को उसके माता पिता ने नाबालिग बताया। अभिलेखों का सत्यापन होने पर उसे नाबालिग पाया गया। इसके बाद उसे माती जेल से बाराबंकी बाल सुधार गृह भेजा गया
खुशी के मामले की सुनवाई अपर जिला सत्र न्यायाधीश-13 पॉक्सो एक्ट शैलेंद्र वर्मा की अदालत में चल रही थी। खुशी के अधिवक्ता उसके नाबालिग होने का हवाला देकर जमानत की मांग कर रहे थे। हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने पर खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।
खुशी बोली- मुझे कानून पर पूरा भरोसा था
सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी को खुशी की जमानत मंजूर कर दी थी। इस बीच खुशी की उम्र 18 साल पूरी हो गई, तो उसे माती कारागार शिफ्ट कर दिया गया था। शनिवार को जेल से बाहर आकर खुशी ने कहा कि उसे अदालत पर पूरा भरोसा है। मुझे कानून पर पूरा भरोसा था, देर लगी लेकिन न्याय मिला।
अधिवक्ता बोले- खुशी पूरी तरह निर्दोष है
उसने कहा कि मुझे आज तक नहीं पता कि किस मामले में जेल गई थी। अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कहा कि खुशी पूरी तरह से निर्दोष है। पुलिस के पास खुशी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। सिर्फ पुलिस ने उसे मनमाने ढंग से जेल भेज दिया था। अब जमानत मिल गई है। पूरा भरोसा है कि वह जेल से ससम्मान बरी होगी।
जमानती प्रकिया में बीत गए 16 दिन
सुप्रीम कोर्ट से चार जनवरी को जमानत मंजूर होने के बाद जमानती प्रपत्रों की जांच व सत्यापन में करीब 16 दिन बीत गए। इस बीच कानपुर की नौबस्ता व पनकी पुलिस ने प्रपत्रों की जांच रिपोर्ट भेजने में लापरवाही की। अदालत की नाराजगी के बाद सत्यापन रिपोर्ट आई।
शाम को जारी हुआ रिहाई परवाना
शनिवार को खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित जमानती प्रपत्रों की सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद एडीजे-13 पॉक्सो एक्ट शैलेंद्र वर्मा की अदालत में पहुंचे, लेकिन अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के जमानती आदेश पर सेवन सीएलए व विस्फोटक अधिनियम का जिक्र नहीं था। इस पर रिहाई परवाना जारी होने में विलंब हुआ। हालांकि शाम को अदालत ने सारी औपचारिकताएं पूरी होने पर रिहाई परवाना जारी कर दिया।
हाथों की मेंहदी छूटी नहीं थी पुलिस ने कर लिया था गिरफ्तार
बिकरू कांड के मुख्य आरोपी कुख्यात विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे (मुठभेड़ में मारे जा चुके) की 30 जून 2020 को पनकी कानपुर नगर निवासी खुशी के साथ शादी हुई थी। शादी के दो दिन बाद ही बिकरू कांड हो गया। खुशी ने बताया कि उसका बिकरू कांड से कोई लेना देना नहीं था।
पुलिस ने बुलाया, तो वह चार जुलाई को चौबेपुर थाने गई। इसके बाद उसे चार दिन थाने में रखा गया। इस चार दिन में उसके साथ क्या-क्या हुआ इसे बता नहीं सकती। इससे साफ है कि खुशी के साथ कुछ ऐसा जरूर हुआ, जिसे वह बताना नहीं चाहती है। जेल से बाहर आने पर मीडिया कर्मियों ने उससे कई सवाल किए। जिस पर उसने कहा कि वह इस समय कुछ बताने की स्थिति में नहीं है।

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