देहरादून से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है जहाँ एक बीएससी का छात्र, जो मूल रूप से बिहार का रहने वाला है, को एक झारखंड के युवक को कथित रूप से ‘गलती से गोली मारने’ के मामले में गिरफ्तार किया गया है। यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि देहरादून की शांति और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
देहरादून में क्या कर रहा था बिहार का छात्र?
बताया जा रहा है कि आरोपी छात्र कुछ समय से देहरादून में किराये पर रह रहा था और किसी निजी कोचिंग या काम की तलाश में यहां आया था। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि वह छात्र किन उद्देश्यों से शहर में आया था और किन लोगों के सम्पर्क में था।
बिना लाइसेंस की बंदूक कहां से मिली?
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर एक छात्र के पास बिना लाइसेंस की हथियार कैसे पहुँची? यह कोई आम चीज नहीं है कि कोई यूं ही हथियार लेकर घूमे और फिर ‘अचानक’ उससे गोली चल जाए। देहरादून जैसे शांत और शिक्षण हब के रूप में पहचाने जाने वाले शहर में इस तरह के हथियारों की उपलब्धता चिंता का विषय है। क्या इसके पीछे कोई संगठित गिरोह काम कर रहा है? क्या शहर में अवैध हथियारों का कारोबार बढ़ रहा है? ये सवाल अब पुलिस के लिए चुनौती बन चुके हैं।
देहरादून पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
देहरादून में किराए पर रहने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य होता है। फिर कैसे बिना जांच के एक बाहरी युवक यहां ठहर गया और उसके पास घातक हथियार भी पहुंच गया? क्या मकान मालिक ने पुलिस वेरिफिकेशन करवाया था? अगर हां, तो क्या पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया?
यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि पुलिस की लापरवाही, और शहर में फैलते अपराध के नए संकेत हैं। यह समय है जब देहरादून पुलिस को अपनी नीतियों को और कठोर बनाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से बाहरी लोगों के वेरिफिकेशन और अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए।
निष्कर्ष
देहरादून जैसे शहर में अगर अवैध हथियार आसानी से पहुंच सकते हैं और बाहरी युवक बिना जांच के ठहर सकते हैं, तो यह शहर के भविष्य के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है। पुलिस को इस पूरे मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
(अभिजीत शर्मा, रिपोर्टर – विशेष रिपोर्ट, देहरादून)