Bihar Breaking:पंचायत चुनाव लड़ सकती हैं बिहार में ब्याही नेपाल की बेटियां, लेकिन आरक्षण लाभ नहीं

चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक नेपाल की बेटी का विवाह बिहार में हुआ है और उसने भारत की नागरिकता ले ली है, वो पंचायत चुनाव लड़ सकती है.

बिहार में हो रहे पंचायत के चुनाव में नेपाल की वो बेटियां भी चुनाव लड़ सकती हैं जिनका विवाह बिहार में हुआ है और उसे भारत की नागरिकता मिल चुकी हो. हालांकि, साथ ही ये भी है कि बिहार में ब्याही नेपाल की बेटी को जातीय आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. बिहार में महिलाओं के लिए लागू 50 फीसदी आरक्षण का लाभ उन्हें भी मिलेगा.

बिहार में पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद जिलों के निर्वाचन अधिकारियों ने सरकार से ये स्पष्ट करने के लिए कहा था कि वैसी महिला जिसका पैतृक गांव घर नेपाल में है वो बिहार में पंचायत चुनाव लड़ सकती है या नहीं और अगर लड़ सकती है तो उसे आरक्षण का लाभ मिलेगा या नही.

आयोग ने जारी किए ये दिशा-निर्देश

चुनाव आयोग के मुताबिक नेपाल से जारी जाति प्रमाण पत्र पर आरक्षण का दावा नहीं कर सकती. हालांकि, उसे महिला आरक्षण का लाभ जरूर मिलेगा. आयोग ने पटना हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला भी दिया. बिहार के पंचायत चुनाव में महिला आरक्षण के साथ साथ अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़े वर्ग को भी आरक्षण का लाभ मिलता है. नेपाल की महिलाओं को ये भी लाभ मिल सकता है बशर्ते नेपाल और बिहार की जाति वर्गीकरण में समानता हो.

नेपाल और भारत का बेटी रोटी का संबंध सदियों से रहा है. दोनों देश के नागरिक एक दूसरे देश में शादी विवाह कर सकते हैं. नेपाल की बेटी को भारत की नागरिकता लेने और मौलिक अधिकार प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं है. नेपाल में अब वैसा नहीं है.

हाल ही में नेपाल की निवर्तमान सरकार ने संविधान में संशोधन कर भारत की बेटियों को नेपाल में विवाह करने पर कई अधिकारों से वचिंत कर दिया है. यहां तक कि उन्हें नेपाल की नागरिकता शादी के सात साल बाद ही मिल सकती ह.

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