नई दिल्ली : कोरोना वायरस संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था (Economy) में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े सोमवार को जारी किये. इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है. सकल घरेलू उत्पाद में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए 25 मार्च को पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था. इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. केंद्र ने 20 अप्रैल से धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों को मंजूरी देनी शुरू की. ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों ने देश के जीडीपी में 2020-21 में गिरावट का अनुमान जताया है.
अनुमानों से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई
हालांकि जीडीपी की ग्रोथ रेट में गिरावट तमाम अनुमानों से ज्यादा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक सर्वेक्षण में कहा गया था कि जून तिमाही में देश की जीडीपी में 21.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इसी तरह घरेलू रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने इस दौरान जीडीपी में 20 फीसदी और एसबीआई के ईकोरैप ने 16.5 फीसदी गिरावट की आशंका जताई थी।
क्या है जीडीपी?
एक साल के भीतर देश में बनाए जा रहे सभी सामानों और सेवाओं का कुल मूल्य जीडीपी कहलाता है। जीडीपी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को दिखाती है। इससे पता चलता है कि देश का विकास किस तरह हो रहा है। एनएसओ जीडीपी के आंकड़े हर तिमाही यानी साल में चार बार जारी करता है। इसकी गणना कंजम्पशन एक्सपेंडिचर, गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर, इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर और नेट एक्सपोर्ट्स के जरिए होती है।
लॉकडाउन के बाद यह पहली तिमाही
लॉकडाउन के बाद जीडीपी को पहली बार जारी किया गया है। अप्रैल से जून के बीच पूरी तरह से देश में लॉकडाउन था। इससे आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं। इसलिए जून तिमाही के जीडीपी के आंकड़े से आगे की ग्रोथ रेट का पता चल सकेगा। हालांकि, अब देश में अनलॉक है और आर्थिक गतिविधियां शर्तों के साथ शुरू हो गई हैं। ऐसे में आने वाली तिमाही में जीडीपी में सुधार की उम्मीद है।