सोनिया गांधी ने वक्फ संशोधन बिल के लोकसभा से पास होने पर इसे एक बड़ा हमला और संविधान का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक जबरन पारित किया गया है और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। उनके अनुसार, यह विधेयक संविधान और इसके मूल सिद्धांतों पर हमला करने जैसा है, क्योंकि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप करता है।
सोनिया गांधी का कहना था कि यह कदम न केवल संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन है, बल्कि यह देश के विभिन्न समुदायों के बीच सामूहिक विश्वास और सामाजिक सद्भाव को भी खतरे में डाल सकता है। उनका यह भी आरोप था कि सरकार बिना किसी उचित चर्चा और विचार विमर्श के यह बिल पारित करवा रही है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन बताया और इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में इस बिल को फाड़ते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया।
बिल के पारित होने के बाद, बीजेपी ने इसे धर्मनिरपेक्षता की राजनीति में एक बड़ा कदम बताते हुए कहा कि इससे मुस्लिम समुदाय के मामलों में सुधार होगा और राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक की सियासत को चुनौती मिलेगी।