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अमृतपाल समर्थकों का ब्रिटेन में बवाल भारतीय उच्चायोग से झंडा उतार लगाया खालिस्तानी झंडा! दूतावास में किया…..

यूनाइटेड किंगडम में धरना-प्रदर्शन को हरी झंडी मिली हुई है. यूरोपियन कन्वेंशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के आर्टिकल 10 और 11 के तहत इसकी छूट है. ये सीधे-सीधे ह्यूमन राइट्स में आता है कि कोई अगर किसी मुद्दे पर अपनी बात रखना चाहे, और बाकी सारे जरिए खत्म हो चुके हों, यानी वो सरकार से गुजारिश कर चुका हो, और तब भी सुनवाई न हो, तो वो प्रोटेस्ट के लिए सड़कों पर आ सकता है. लेकिन ये शांतिपूर्ण होना चाहिए. अगर प्रोटेस्ट से किसी को भी दिक्कत हो, किसी तरह की हिंसा हो, या पब्लिक या प्राइवेट प्रॉपर्टी को नुकसान हो, तो कार्रवाई हो सकती है.

ताजा मामला अमृतपाल सिंह को लेकर है. जिसमें खालिस्तान समर्थकों ने 20 मार्च को ब्रिटेन की राजधानी लंदन में स्थित भारतीय उच्चायोग की बिल्डिंग पर भी हमला किया. यहां खालिस्तान का झंडा लेकर पहुंची भीड़ ने उच्चायोग की बिल्डिंग से भारत का झंडा नीचे उतार दिया था और खालिस्तानी झंडा फहराने की कोशिश की थी. हमलावरों ने दूतावास के बाहर की दीवार पर स्प्रे से बड़े-बड़े अक्षरों में ‘फ्री अमृतपाल’ भी पेंट कर दिया. इस घटना के बाद भारत ने ब्रिटेन के सामने भी अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया.

क्या कहता है यूके का नियम

पब्लिक ऑर्डर एक्ट 1986 में इसका भी प्रावधान रहा. इसमें भी हाल में एक और संशोधन होकर पोलिस, क्राइम, सेंटेंसिंग एंड कोर्ट एक्ट (PCSC) जुड़ चुका है. यूके की सरकारी वेबसाइट पर इसका जिक्र है. प्रदर्शन के दौरान अगर शोर हो, जिसपर कोई शिकायत करे तो भी स्कॉटलैंड यार्ड जाकर प्रदर्शनकारियों पर एक्शन ले सकता है. प्रोटेस्ट के चलते अगर किसी को दफ्तर जाने में देर हो, जिससे काम का बड़ा नुकसान हो सकता हो, जैसे मेडिकल जरूरत या किसी भी किस्म की इमरजेंसी तो भी वो पुलिस से मदद ले सकता है. रास्ते से प्रोटेस्टर्स को तुरंत हटाया जा सकता है, अगर पानी, खाना या ऑयल जैसी चीजों का ट्रांसपोर्टेशन प्रभावित हो रहा हो.

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