विपक्ष और किसानों के विरोध के बीच राष्ट्रपति ने कृषि बिल पर किए हस्ताक्षर- जल्द जारी हो सकता है नोटिफिकेशन…

  • राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रविवार को तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी,
  • जिनके चलते इस समय एक राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है.
  • खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
  • इसके साथ ही ये तीनों कृषि विधेयक अब कानून बन चुके हैं.

कई राज्यों में विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद में पास हुए तीनों कृषि बिल पर साइन कर दिये हैं। लोकसभा और राज्यसभा में तीनों बिल का भारी विरोध हुआ था।

नई दिल्लीः कृषि बिल को लेकर पंजाब, हरियाणा और देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब में किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। इसी बीच, सूत्रों से खबर मिल रही है कि संसद से पास हुए तीन कृषि बिल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब तीनों कृषि बिल कानून बन गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी कर सकती है।

किसान कर रहे हैं बिल का विरोध
कृषि बिल को लेकर देशभर में किसानों का विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान नए कृषि बिल का जमकर विरोध कर रह हैं। पंजाब सरकार भी इस कृषि बिल के विरोध में हैं। किसानों का कहना है कि सरकार इससे मंडियों और एमएसपी को खत्म करना चाहती है और सबकुछ प्राइवेट हाथों में सौंपना चाहती है। हालांकि केंद्र सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि मंडियां और एमएसपी खत्म नहीं होगी, लेकिन किसानों में इसको लेकर असमंजस की स्थिति है। केंद्र सरकार ने कृषि बिल में ऐसा कुछ प्रावधान नहीं किया है।

विपक्ष भी किसानों के हक में 
वहीं, कांग्रेस लगातार मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कृषि विधेयकों को काला कानून बता रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार अडानी और अंबानी को इसके जरिए फायदा पहुंचाना चाहती है। किसानों को अपनी फसल का सही दाम नहीं मिलेगा। किसान अपनी फसल सही दामों पर नहीं बेच पाएगा। इससे किसान की आर्थिक स्थिति और खराब होगी। उन्होंने कहा कि ये सरकार किसान विरोधी सरकार है। किसानों आत्महत्या करने पर मजबूर कर रही है। राहुल गांधी ने पीएम मोदी को नसीहत देते हुए कहा कि जायज मांगें हैं किसानं की, देश की आवाज सुनो, मोदी जी। जय किसान, जय हिंदुस्तान।

सबसे पुराने साथी ने छोड़ा साथ
इसके अलावा  कृषि विधेयक को लेकर भाजपा से चल रही अनबन के मद्देनजर शिरोमणि अकाली दल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अपना नाता तोड़ लिया है। भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी दलों में से एक शिरोमणि अकाली दल की ओर से काफी वक्त पहले से ही संसद के दोनों सदनों में पारित किए गए तीनों कृषि विधेयक का विरोध किया जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की फसलों की खरीद की गारंटी देने से मना करने के कारण भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से अलग होने का फैसला किया है।

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