अमेरिका ने भारत को दिया बड़ा ऑफर, क्या पुतिन से दूरी बनाएंगे मोदी?

अमेरिका ने कहा है कि रूस और चीन की बढ़ती दोस्ती अमेरिका और भारत दोनों के लिए ठीक नहीं है. अमेरिकी विदेश सचिव ने रूसी हथियारों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर भारत चाहे तो वो रक्षा हथियारों की सप्लाई कर सकता है.

यूक्रेन संकट को लेकर भारत ने पश्चिमी देशों की बार-बार अपील के बावजूद रूसी हमले की निंदा नहीं की है. भारत के इस रुख के पीछे एक बड़ी वजह सैन्य हथियारों को लेकर रूस पर निर्भरता भी है. अमेरिका भी भारत की इस मजबूरी को समझता है और अब उसने भारत को एक बड़ा ऑफर दिया है.  

अमेरिका ने रूसी हथियारों की आलोचना करते हुए कहा है कि वो भारत को रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने के लिए उत्सुक है. अमेरिका ने कहा है कि भारत को ये सोचने की जरूरत है कि क्या हथियारों के लिए रूस पर उसकी निर्भरता ठीक है क्योंकि रूस की लगभग 60 प्रतिशत मिसाइल काम करने की स्थिति में नहीं हैं. अमेरिका ने भारत से कहा है कि वो देखे कि रूस के हथियार युद्ध के मैदान में कितना खराब प्रदर्शन कर रहे हैं.

‘अमेरिका देगा भारत को हथियार’

राजनीतिक मामलों पर अमेरिका की विदेश सचिव विक्टोरिया नुलैंड ने बुधवार को द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कही. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से बात की है और अमेरिका भारत को रक्षा आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भरता खत्म करने में मदद करने के लिए तैयार है.

‘रूस-चीन की करीबी भारत-अमेरिका के लिए ठीक नहीं’

रूस-चीन संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन पर हमले के बीच रूस ने चीन से मदद की मांग की है. वो चीन से पैसों और हथियारों की मदद की मांग कर रहा है. इससे रूस और चीन के संबंध मजबूत हो रहे हैं जो कि न तो हमारे लिए सही है और न ही भारत के लिए. रूस केमिकल और जैविक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहा है. ऐसे वक्त में जब अतिवादी ताकतें एक हो रही हैं, भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों के लिए जरूरी है कि वो साथ खड़े हों.’

विक्टोरिया नुलैंड ने कहा कि अमेरिका समझता है कि भारत-रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं लेकिन ये बात महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन-रूस के मुद्दे पर हम एक साथ खड़े हों. उन्होंने कहा कि रक्षा आपूर्ति के लिए रूस पर भारत की निर्भरता को भी हम समझते हैं.

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