अजब गजब – चूहों ने गिरा दिया करोड़ों की लागत से बना पुल जानिए पूरा मामला..

बिजली फाल्ट करने के पीछे चूहों की कारस्तानी तो आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन आपको जानकर यह हैरानी होगी कि चूहों की वजह से 40 करोड़ का नुकसान हो गया। लेकिन सच यही है कि 40 करोड़ से बनाया गया खपरा मोहाल फ्लाईओवर को चूहों ने कुतर डाला। चूहों ने रैम्प में छेद दर छेद कर पहले अपना बसेरा बनाया फिर इसे आर-पार खोखला कर दिया। बारिश हुई तो रैम्प की बालू बह गई और पुल तीन बार धंस गया।

खपरा मोहाल पुल के बार-बार धंसने की सेतु निगम ने जांच भी कराई। निगम की तकनीकी टीम ने जांच की तो उसकी हवाइयां उड़ गई। पता चला कि बगल में रेलवे गोदाम से चूहे बीते कई महीनों से आ रहे हैं लेकिन कोरोना काल में जब लॉकडाउन हुआ तो सन्नाटा पाकर रैम्प के अंदर (रेलवे स्टेश्न की तरफ) चूहों की आमद तेज होने लगी। चूहों ने रैम्प में दोनों तरफ कई छेद कर रास्ते बना लिए। इसी सीजन में अगस्त में जब भारी बारिश हुई तो रैम्प की सड़क धंस गई और रैम्प की बालू बहकर खपरामोहाल की सर्विस लेन पर बहने लगी।

सेतु निगम ने मामूली मरम्मत कर पुल को चालू कर दिया। इसके बाद सितम्बर में भारी बारिश ने फिर से पुल की सड़क को धंसा दिया। तब सेतु निगम ने रैम्प के ऊपरी छोर पर धंसी सड़क के बड़े हिस्से पर सीसी निर्माण कर इतिश्री कर ली। बीते सोमवार को भारी बारिश ने मरम्मत की पोल खोल दी और पुल की सड़क फिर धंस गई। इसी के बाद सेतु निगम ने तकनीकी टीम ने जांच कराई तो पता चला कि चूहों ने रैम्प में नीचे की तरफ छेद कर रास्ता बना लिया और जब बारिश हुई तो बालू बहने लगी इसी से पूरा रैम्प खतरनाक हो गया। जांच में यह भी सामने आया कि रैम्प में बालू की जगह पर राबिश का इस्तेमाल किया।

सेतु निगम और कैंट बोर्ड आमने-सामने
सेतु निगम ने नियमों का हवाला देकर साफ किया कि पुल कैन्ट बोर्ड के क्षेत्र में आता है इसलिए मेन्टीनेंस का काम उसी का है। लाइट का मेन्टीनेंस बोर्ड देख रहा है तो पुल का मेंटीनेंस भी देखे जबकि बोर्ड का कहना है कि पुल उन्होंने बनाया तो उन्हें देखना होगा।

संयुक्त प्रबंध निदेशक सेतु निगम राकेश सिंह ने बताया, सेतु निगम की टीम ने बार-बार खपरामोहाल पुल की धंस रही सड़क की जांच की है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक चूहों की वजह से ही पुल का रैम्प खोखला हो गया और बारिश में पानी अंदर जाने से बालू बह गई इसलिए सड़क भी धंसी। कैन्ट बोर्ड को ही मरम्मत भी करनी होगी। सेतु निगम पुल बनाकर जिम्मेदार विभाग को सौंप देता है।

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