यूक्रेन से लौटे छात्रों का आरोप- रेस्क्यू में हुआ भेदभाव, उत्तर भारतीयों को दी….

यूक्रेन में जंग चल रही है, जिसके चलते वहां से भारतीयों को भी निकाला जा रहा है. केंद्र सरकार रेस्क्यू के लिए बाकायदा ऑपरेशन गंगा चला रही है. इसी कड़ी में देश लौटे तमिलनाडु के छात्रों के ग्रुप ने अपने अधिकारियों पर ही भेदभाव का आरोप लगाया है.

यूक्रेन में जारी जंग के बीच वहां रंग के आधार पर लोगों से भेदभाव की खबरें सामने आती रही हैं. लेकिन अब भारतीय दूतावास के अधिकारियों पर ही देश के छात्रों के साथ भेदभाव करने के आरोप लग रहे हैं. यूक्रेन से तमिलनाडु लौटे छात्रों के एक समूह ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उनके साथ भेदभाव का आरोप लगाया है. छात्रों के मुताबिक उनके नाम रेस्क्यू लिस्ट से हटाकर उत्तर भारतीय छात्रों के नाम जोड़ दिए गए. 

छात्रों के समूह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ बात कर इस घटना की जानकारी साझा की. इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

यूक्रेन के खारकीव से लौटने वाले छात्रों के समूह ने बताया कि वे यूक्रेन के पूर्वी इलाके में फंसे हुए थे. ये इलाका रूस से सटा हुआ है. जब उन्होंने भारतीय दूतावास के अधिकारियों से बात की तो अधिकारियों ने 100 किलोमीटर लंबा रास्ता तय कर पोलैंड बॉर्डर क्रॉस करने के लिए कहा.

छात्रों का कहना है कि रूस के बॉर्डर से हमें निकालना आसान था, लेकिन अधिकारियों को इस बात की परवाह नहीं थी कि छात्र युद्ध क्षेत्र में 100 किलोमीटर का सफर कैसे करेंगे?.

छात्रों ने बताया कि उनमें से कई लोगों को पोलैंड की सीमा तक पहुंचने के लिए भारी-भरकम कीमत चुकानी पड़ी. उन्होंने आरोप लगाया कि पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचने के बाद उनके साथ पक्षपात किया गया और उनकी जगह उत्तर भारत के छात्रों को प्राथमिकता दी गई. तमिलनाडु के छात्रों ने बताया कि उन्हें 24 से लेकर 48 घंटे तक इंतजार करना पड़ा. पोलैंड बॉर्डर पर पहले आओ, पहले पाओ वाला हिसाब नहीं चल रहा था. बल्कि, उत्तर भारतीय छात्रों को प्राथमिकता दी जा रही थी और उनके नाम जोड़कर हमारे नाम हटाए जा रहे थे.

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