झारखंड का ऐसा गांव जो पर्यटकों को लुभाता हैं मैक्लुस्कीगंज की वादियां व हैरिटेज बंगले, गर्मी में भी रहता है कूल…

कई राज्यों से छुट्टियां मनाने आते हैं लोग..
झारखंड का इकलौता गांव, जो गर्मी में भी रहता है कूल, कई राज्यों से छुट्टियां मनाने आते हैं लोग
रांची से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर एक अनोखा गांव है. इस गांव का नाम एक अंग्रेज अफसर के नाम पर पड़ा है मैकलुक्सिगंज, खासकर गर्मी के मौसम में यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. सिर्फ झारखंड से नहीं, यूपी, बिहार, बंगाल के अलावा कई राज्यों से लोग आते हैं.


इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे अंग्रेजों ने बसाया था. इसलिए इसे ‘अंग्रेजों का गांव’ भी कहते हैं. गांव की खूबसूरती देखते ही बनती है, यह एकदम जंगल के बीचो बीच बसाया गया था. आज भी यहां की प्राकृतिक छटा मनमोह लेती है. गर्मी के मौसम में यहां सुबह-शाम ठंडक रहती है.

जंगल में होने के कारण इस गांव में हमेशा हरियाली आपको देखने को मिलेगी,यहां पर कोई बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर या फिर बड़े आलीशान मकान नहीं मिलेंगे, बल्कि, आज भी यहां के लोग खेती-बाड़ी करते हैं और कच्चे मकान में रहते हैं. यहां पर आपको 90% कच्ची सड़क ही मिलेगी. लोग यहां पर खास कर स्टेशन को भी देखने आते हैं.

यह वही स्टेशन है, जहां एमएस धोनी फिल्म की शूटिंग सुशांत सिंह राजपूत ने की थी. मात्र दो लाइन का रेलवे स्टेशन भी दिखने में बहुत खूबसूरत है. लोग यहां पर फोटो खींचना नहीं भूलते. वहीं, अगर आप इस गांव में पहुंचाना चाहते हैं तो आप रांची से कार, बस या फिर अपने टू व्हीलर से आ सकते हैं. खाने की बात करें तो यहां पर आपको दो-तीन अच्छे रिसोर्ट मिलेंगे.

शहरी चकाचौंध से दूर लोग यहां पर सुकून के पल बिताने आते हैं. यहां पर आपको दो-चार अच्छे रिजॉर्ट भी मिलेंगे. यहां पर एक नदी देगा देगी भी है, जहां पर नहाना लोग काफी पसंद करते हैं. गर्मी के मौसम में यह गांव एकदम ठंडा रहता है. इसके अलावा यहां पर आपको अच्छे होटल मिलेंगे, यहां का फेमस फूड खा सकते हैं. यहां वेज-नॉनवेज हर तरह के आइटम मिलेंगे.

गांव में आपको अंग्रेजों द्वारा बनाए गए एक से बढ़कर एक खूबसूरत बंगले देखने को मिलेंगे. अंग्रेजों के डिस्को डांस से लेकर वॉच टावर और स्कूल भी हैं, जिसे देखना टूरिस्ट के लिए सरप्राइज से कम नहीं होता,आज भी यह मेंटेन किया गया है और देखने में बड़ा शानदार लगता है. यही कारण है कि गर्मी में छुट्टी मनाने लोग इस कूल विलेज में आ जाते हैं.

बताया कि पहले बंगाल से ज्यादा पर्यटक आते थे। पर, कोरोना और ट्रेन नहीं चलने के कारण इस वर्ष बंगाल से आने वाले पर्यटकों की संख्या कम है। मैक्लुस्कीगंज के कंचनजंगा रिसोर्टस में नए साल के मौके पर डास आरकेस्ट्रा की तैयारी रहती है। मैक्लुस्कीगंज के आसपास के पिकनिक स्पाट भी सैलानियों के स्वागत के लिए बाहें फैलाए हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर इस के हैरिटेज बंगले, शकर निकेतन, जागृति विहार, दुल्ली स्थित प्रेम कुटीर सर्वधर्म स्थल, डेगाडेगी नदी, चट्टी नदी, दो मुहाना, कुमार पतरा, दामोदर नदी, नकटा पहाड़, वाच टावर, प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र बरबस सैलानियों का मन मोहते हैं।

रिपोर्ट:- अमित कुमार सिन्हा (रांची)

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