बेटी की शादी… पिता ने छपवाए तेरहवीं के कार्ड, जानिए वजह….

  • मामला राजस्थान के ब्यावर जिले के बदनोर क्षेत्र का है।
  • यहां पर एक पिता ने अपनी बेटी के जीवित रहते ही ”शोक संदेश” का कार्ड छपवाया है।
  • अब इस कार्ड की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
  • इस कार्ड को देखकर लड़की के रिश्तेदार भी हैरान हैं,’मृत्यु भोज” का कार्ड क्यों छपवाया?

हर पिता की यही इच्छा होती हैं कि उनकी बेटी की शादी बड़े धूम धाम से हो. उसकी बेटी की शादी में किसी तरह की कोई कमी न हो सके. इसके लिए हर पिता अपनी जीवन की पूरी कमाई तक खर्च कर देता है. आज तक अपने कई साड़ी ऐसी शादियों के बारे में सुना होगा. लेकिन आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसपे शयद आप भरोसा भी न कर पाए.

एक पिता के लिए उसकी औलाद से बड़ा कोई नहीं. लेकिन जरा सोचिए अगर कोई पिता अपनी जिंदा बेटी के वो भी शादी के मौके पर तेरहवीं के पत्र छपवा दे तो ये कितना अटपटा होगा. लेकिन राजस्थान में कुछ ऐसा ही हुआ. आखिर पिता ने ऐसा क्यों किया आइये जानते हैं…


ये मामला राजस्थान के ब्यावर जिले के बदनोर क्षेत्र का है. दरअसल यहां रहने वाली विमला कुमारी ने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी कर ली. वह घर से अपने प्रेमी के साथ भाग गई और फिर दोनों ने शादी रचा ली. युवती के पिता जगदीश कुमार प्रजापत ने पुलिस को इसकी सूचना दी.

जिसके बाद पुलिस युवती और उसके प्रेमी को पकड़कर मां-बाप के सामने ले आई. जिसके बाद बेटी को माता-पिता ने खूब समझाया. उन्होंने अपनी बेटी को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. पेरेंट्स ने पुलिस से मदद मांगी, लेकिन बेटी ने तो साफ इंकार कर दिया।।

जिंदा बेटी को मरा मानकर बांट दिए तेरहंवी के कार्ड

घटना के बाद, माता-पिता ने बेटी को समझाने और घर वापस लाने के कई प्रयास किए। उन्होंने पुलिस की मदद भी ली, लेकिन लड़की ने अपने माता-पिता से मिलने से इनकार कर दिया। यहां तक कि उसने उन्हें पहचानने से भी मना कर दिया। इस घटना ने माता-पिता को इतना आहत किया कि उन्होंने बेटी को सामाजिक रूप से मृत मानते हुए शोक पत्रिका छपवा दी। शोक पत्रिका में बेटी के नाम के साथ लिखा गया कि उसका उठावना 11 दिसंबर को होगा। इस पत्रिका के सामने आने के बाद से सोशल मीडिया पर लोग अपनी-अपनी राय दे रहे हैं। कुछ लोग पिता के कदम को सही ठहरा रहे हैं, तो कुछ इसे बेटी की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन मान रहे हैं।

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