बेगूसराय l हर साल की तरह,इसवर्ष भी सुहागिन महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया। यह त्योहार पति की लंबी उम्र और सुखद जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है। व्रत का महत्व करवा चौथ विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, जहां महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।पूजा विधि शाम को, चंद्रमा के निकलने पर महिलाएं पूजा करती हैं। वे चंद्रमा को अर्ध्य देकर, अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं। पौराणिक कथाएँ यह व्रत सती सावित्री और करवा की कथाओं से जुड़ा है, जो पति के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक हैं। महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा करती हैं और सामुदायिक भोज का आयोजन करती हैं, जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। करवा चौथ न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह प्यार, समर्पण और परिवार के महत्व को भी दर्शाता है। इस पर्व के माध्यम से महिलाएं अपने पति के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। यह पर्व सभी के जीवन में खुशियों और समृद्धि का संचार करता है।
करवा चौथ व्रत: सुहागिन महिलाओं की दीर्घायु की कामना
