नए कानूनों का सामाजिक आंकलन।
भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता जिसने 01जुलाई 2024 को रात 12.01 बजे को तीन पुराने अंग्रेजी राज में बने कानून इंडियन पीनल कोड, तज़ीराते हिंद और इंडियन एविडेंस एक्ट को बदल दिया इसको समझना भारतीय नागरिकों को जरूरी हैं । इस कानून के तहत एफ आई आर वा उससे जुड़ी सारी प्रक्रिया, अदालतों से समन वारंट की प्रक्रिया वा दस्तावेजी का लेना देना सब इलेक्ट्रॉनिक तरीके से की जाएगी, पुलिस जांच फोरेंसिक एक्सपर्ट द्वारा की जाएगी। इसके लिए भारत की 80 %आबादी जोकि इंटरनेट नही चलाती और दस्तावेजों के इलेक्ट्रॉनिक तरीके के बारे में जानकारी नहीं रखते उनको सरकार द्वारा मुहिम चलाकर जागरूक करना पड़ेगा। दूसरे अब मुकदमों की पैरवी पूरी मुस्तैदी से करनी पड़ेगी क्योंकि एक निर्धारित समय सीमा के अंदर मुकदमों का अदालत से निस्तारण किया जाएगा। राज द्रोह, बलात्कार, धर्म परिवर्तन वा आतंकवादी धाराओं में परिवर्तन कर सजाएं ज्यादा कठोर की गई है जिसके लिए भारत के नागरिकों को खास कर अल्प संखियक समाज को इससे होने वाली परेशानियों को समझना होगा कि अदालतों से इन मुकदमों में जमानत और सबूतों में जटिलता आयेगी क्योंकि अभी फोरेंसिक एक्सपर्ट का पूरा नेटवर्क नही है। इस कानून में इस तरह की कोई व्यवस्था भी करनी चाहिए थी कि अगर किसी अपराधी का जुर्म साबित नही होता या वो अदालती प्रक्रिया में बे कसूर साबित होता है तो संबंधित अधिकारी उसके जिम्मेदार हो और सरकार उसके उत्पीड़न के विरुद्ध हरजाना भी दे और संबंधित विभाग के विरुद्ध कार्रवाई भी करे तो इंसाफ का माप दंड पूरा होगा।
ज्यादातर यह उपरोक्त अपराध हमारे भारतीय नौजवानों के द्वारा सोशल मीडिया की छत्र छाया या उससे मुतासिर होकर किए जाते हैं जोकि फौरन पुलिस की इन्वेस्टिगेशन टीम के द्वारा चेक कर लिए जाते हैं इसलिए सोशल मीडिया नौजवानों के लिए एक ट्रैप की तरह काम करता है जो जाने अंजाने में नौजवानों में अपराधिक प्रवृत्ति पैदा कर देता है इसलिए इस ट्रैप से नौजवानों को बचने की जरूरत है। दूसरे समाज में बुराई से बचने और अपराधिक गति विधियों में शामिल न होने के लिए जागरूकता मुहिम चलाने की सख्त जरूरत है। नौजवान लड़के लड़कियों की वक्त पर समाज में सुन्नत तरीके से शादी करने के मुहिम पर जोर देना चाहिए ताकि अवेध संबंधों से नौजवान बच सके और अपराध बोध होकर कोई गलत काम न करे। छोटे अपराधो और उनके निदान के लिए समाज में सेवा करने की सजा एक अच्छी पहल है जिससे बहुत सारे छोटे अपराध रोकने में मदद मिलेगी। इन कानूनी बदलाव के दूरगामी क्या परिणाम आते है इनकी निरंतर समीक्षा करने की अत्यंत आवश्यकता है ताकि इन कानूनों को समाज हित के लिए परिपूर्ण किया जा सके।
खुर्शीद अहमद,
(जनरल सेक्रेटरी, जमीयत उलेमा हिंद, देहरादून)
37, प्रीति एनक्लेव माजरा देहरादून।