बताते चलें, कोल माइनिंग कंपनी कोल इंडिया की 23 खदाने अब निजी हाथों में जा चुकी है। कंपनी ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इन खानों की अधिकतम क्षमता सालाना 3.41 करोड़ टन की है। इसमें से कुल निकालने योग्य कोयला भंडार 63.5 करोड़ टन है। कंपनी ने आज 19 जून को इसका खुलासा किया। जानकारी के मुताबिक माइनिंग कंपनी ने बंद पड़ी कोयला खदानों और रेवेन्यू बढ़ाने के उद्देश्य से ही इन 23 बंद पड़ी भूमिगत खदानों को निजी हाथों में सौंपा है। ये माइन्स उन्हें रेवेन्यू शेयर मॉडल के हिसाब से बांटे गए हैं,हालांकि, ये खदानें कोल इंडिया के लिए वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं थीं, इसलिए उन्हें निजी खिलाड़ियों को देने का फैसला किया।
कोल इंडिया की 23 खदाने अब निजी हाथों में, अपनी बंद और ठप पड़ीं भूमिगत खदानों से कोयला भंडार निकालने के लिए ऐसी 23 खानों को राजस्व-भागीदारी के आधार पर निजी कंपनियों को आवंटित करने की घोषणा की है। कोल इंडिया ने इस शर्त पर किया सौदा की 23 खदाने अब निजी हाथों में, कोल इंडिया ने इस शर्त पर किया सौदा, कोल इंडिया ने न्यूनतम राजस्व भागीदारी चार प्रतिशत पर तय की गई है। अनुबंध की अवधि 25 साल की होगी। जिन निजी कंपनियों को ये खानें आवंटित की गई हैं उनके नाम का खुलासा नहीं किया गया है। कोल इंडिया के अधिकारी ने कहा कि इसके पीछे मुख्य अवधारणा यह है कि कोयले का घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाए और आयात में कमी लाई जाए।
रिपोर्ट:- अमित कुमार सिन्हा