18वीं लोकसभा चुनावों के रिजल्ट आने के बाद अब भारत में बिहार और आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य बनाने को लेकर खबरें तेज हैं, इसके क्या-क्या फायदे हैं

CM नीतीश कुमार ने 2005 में विशेष राज्य के दर्जे की मांग की थी..(Headlines ) नई सरकार के गठन की सुगबुगाहट के बीच नई शब्दावली भी चर्चा में है. विशेष राज्य का दर्जा और विशेष श्रेणी का राज्य! सुनने में ये शब्द भले एक से लगते हैं, लेकिन इनके मायने अलग हैं. राजनीतिक हलकों में एनडीए के घटक दलों में से जनता दल यूनाइटेड और तेलगुदेशम की विशेष दर्जे वाले राज्य की संभावित मांगों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. ऐसे में SCS क्या है? किसी राज्य को यह दर्जा कैसे दिया जाता है और इससे उस राज्य और वहां की जनता को क्या लाभ होते हैं? आइए जानते हैं. बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कोई नई बात नहीं है. बिहार के CM नीतीश कुमार ने 2005 में विशेष राज्य के दर्जे की मांग की थी. नीतीश ने बिहार के विकास के लिए जरुरी बताया था, उनका कहना है कि बिहार को अगर विशेष राज्य का दर्जा मिला तो तेजी से विकास होगा.


आंध्र में विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक दशक से भी अधिक समय से मांग उठाया जा रहा है…


आंध्र प्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा के लिए भी चुनाव हुए हैं. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी ने राज्य में 135 सीटें जीती हैं,अब यहां चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं.
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक दशक से भी अधिक समय से मांग उठाया जा रहा है, दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस के घोषणापत्र में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था,अब जब बीजेपी को चंद्रबाबू नायडू और तेलुगू देशम पार्टी की जरूरत है तो उम्मीद है कि चंद्रबाबू राज्य को विशेष दर्जा देने की बड़ी मांग करेंगे, इसके साथ ही बीजेपी को समर्थन देने का एलान कर चुके नीतीश कुमार के बिहार में भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठी है,माना जा रहा है कि नीतीश कुमार भी बीजेपी के सामने बिहार के लिए ये मांग रख सकते हैं.
ऐसे में ये सवाल पूछा जा सकता है कि किसी राज्य को दिए जाने वाला स्पेशल स्टेटस आख़िर है क्या और इससे विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले स्टेट के लिए क्या बदल जाता है.


कब हुई थी शुरूआत.

तो आपको बता दें, भारत के संविधान ऐसे स्पेशल स्टेटस का कोई प्रावधान नहीं करता है,भारत में साल 1969 में गाडगिल कमेटी की सिफ़ारिशों के तहत विशेष राज्य के दर्जे की संकल्पना अस्तित्व में आई थी.
इसी साल असम, नगालैंड और जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था.
इसके साथ ही अन्य राज्यों के मुकाबले में ज्यादा अनुदान दिया जाता है. सरकार के बजट का कुल 30% हिस्सा इन्हीं राज्यों पर खर्च किया जाता है. इन राज्यों को दी जाने वाली राशि अगर एक साल में खर्च नहीं होती. तो अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड हो जाती है,स्पेशल स्टेटस पाने वाले राज्य के लिए एक्साइज ड्यूटी में भी महत्वपूर्ण छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया था ताकि वहां बड़ी संख्या में कंपनियां मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटीज़ स्थापित कर सकें,स्पेशल स्टेटस सामाजिक और आर्थिक, भौगोलिक कठिनाइयों वाले राज्यों को विकास में मदद के लिए दिया जाता है. इसके लिए अलग-अलग मापदंड निर्धारित किए गए हैं, भारत में फिलहाल 11 राज्यों के पास विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा हासिल है. इन राज्यों में अधिकतर राज्य पूर्वोत्तर के हैं. जिनमें मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम है. तो वही पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश शामिल है! रिपोर्ट:-अमित कुमार सिन्हा

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