34 साल पहले 90 का दशक का वह धारावाहिक का ये शो,1 हफ्ते में मिलते थे 14 लाख पोस्टकार्ड, परेशान हो गया था डाक विभाग एकमात्र जरिया डाक विभाग और संसाधन की घोर कमी…

दूरदर्शन भारतीय मनोरंजन का सबसे पहला विजुअल और बड़ा माध्यम रहा है…

                                                               दूरदर्शन पर 90 के दशक में प्रसारित 'सुरभि' भारतीय सांस्कृति को समर्पित शो था, 10 साल चले इस शो की पॉपुलैरिटी इस कदर थी कि इसे हफ्ते में 14 लाख पोस्‍टकार्ड चिट्ठ‍ियां मिलती थीं। इस कारण इस शो का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड्स में शामिल है। इस शो के निर्माता सिद्धार्थ काक थे, जो इसे रेणुका शहाणे के साथ को-होस्‍ट भी करते थे, दूरदर्शन की भारतीय मनोरंजन का सबसे पहला विजुअल और बड़ा माध्यम रहा है. इसने 'रामायण,' 'महाभारत', 'रंगोली', 'बुनियाद', 'हम लोग' जैसे शो बनाए. 80-90 के दशक में ऐसे शोज का बोलबाला था. तब मनोरंजन का आज की तरह प्राइवेट चैनल्स, मल्टीप्लेक्स और ओटीटी जैसे माध्यम नहीं हुआ करते थे, रामायण' और 'महाभारत' की तो आज भी चर्चा होती है. लेकिन एक शो ऐसा भी रहा, जो 1990 से साल 2001 तक दूरदर्शन पर आया. 10 साल चलने वाले इस शो के 415 एपिसोड आए. इस शो ने बॉलीवुड को एक बेहतरीन एक्ट्रेस और डायरेक्टर भी दी.

भारतीय TV के इत‍िहास का सबसे पॉपुलर शो ‘सुरभ‍ि’ के नाम है वर्ल्ड रिकॉर्ड

                                                                   आज मनोरंजन के लिए हमारे पास कितना कुछ है। फिल्‍में हैं, टीवी है, OTT से लेकर सोशल मीडिया की दुनिया है। लेकिन नब्‍बे का दशक ऐसा था, जब हर घर में टीवी का बोलबाला था। यह वह दौर था, जब पूरा परिवार एकसाथ बैठकर टीवी पर 'रामायण' से लेकर 'महाभारत' देखता था। 'च‍ित्रहार' और 'रंगोली' जैसे शोज में गाने सुनकर झूमता था। दूरदर्शन तब एकमात्र चैनल था और उसकी पॉपुलैरिटी चरम पर थी। इसी दौर में टीवी पर एक ऐसा शो भी आया, जिसने देश की अलग-अलग संस्‍कृतियों को एकजुट करने का काम किया। 34 साल पहले दूरदर्शन पर आए इस शो का नाम था 'सुरभ‍ि', जिसे रेणुका शहाणे और सिद्धार्थ काक अपनी मीठी मुस्‍कान के साथ होस्‍ट करते थे। इस शो की पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इसे देखने वाले दर्शक हर हफ्ते रेणुका और सिद्धार्थ को 14 लाख से अध‍िक चिट्ठ‍ियां भेजते थे,सिद्धार्थ काक ने कहा, हमारे टीवी शो के कारण पोस्टकार्ड खत्‍म होने लगे थे. हमें इतने सारे पोस्टकार्ड मिलने लगे कि हमारा नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल हुआ. एक बार तो हमें एक हफ्ते में 14 लाख पोस्टकार्ड मिलते थे."

मजबूरी में भारतीय डाक ने 15 पैसे की जगह जारी क‍िया 2 रुपये का पोस्‍टकार्ड…

काक ने खुलासा किया कि एक बार अंधेरी पोस्ट ऑफिस से फोन आया कि उनके पास पोस्टकार्ड रखने की जगह नहीं है. आकर इसे ले जाइए. फिर एक ट्रक किराए पर लिया और पोस्ट ऑफिस पहुंचे, तो देखा कि पोस्टकार्ड से सैंकड़ों बैग भरे हुए थे. डाक विभाग परेशान हो गया था और उसने मंत्रालय से शिकायत कर दी थी. मंत्रालय ने मजबूरी में इसकी कीमत बढ़ा दी थी.
सुरभ‍ि’ के लिए पोस्‍टकार्ड भेजने का चलन इस कदर बढ़ गया था कि भारतीय डाक विभाग इससे परेशान हो गया। मजबूरी में विभाग ने 15 पैसे के पोस्‍टकार्ड की जगह 2 रुपये की कीमत पर एक ‘कंपीटिशन पोस्‍टकार्ड’ जारी किया। ताकि ऐसे कार्यक्रमों में हिस्‍सेदारी के लिए लोग उसी का इस्‍तेमाल करे। कीमत बढ़ाने के पीछे कारण यही था कि इस तरह पोस्‍टकार्ड भेजने वालों की संख्‍या कम होगी,हाल ही सिद्धार्थ कन्नन को दिए इंटरव्‍यू में सिद्धार्थ काक ने उन सुनहरे दिनों को याद किया है। वह कहते हैं कि ‘हमारी र‍िसर्च टीम कैमरे के पीछे नहीं थी, बल्कि कैमरे के सामने थी। देश ही हमारी र‍िसर्च टीम थी, क्योंकि लोग आपको वह सब कुछ बता रहे थे जो आप जानना चाहते थे। आप बस पूछें और वे आपको बता देंगे। हमने कभी नहीं सोचा था कि शो को ऐसा रेस्‍पॉन्‍स मिलेगा।’

रिपोर्ट:-अमित कुमार सिन्हा

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