हौसले का सिकंदर: हाथ नहीं फिर भी पैरों से लिखकर पास की पटवारी की परीक्षा! अमीन को सलाम…..

देवास. किसी ने बड़े ही कमाल की बात कही है कि हाथों में किस्मत की लकीरें होती हैं लेकिन किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते हैं। ऐसा ही एक मामला देवास जिले में सामने आया है। जहां एक दिव्यांग युवक ने अपनी किस्मत अपने हाथों नहीं बल्कि अपने पैरों से लिखी है। दोनों हाथों से दिव्यांग इस युवक ने पहली ही बार में पैरों से लिखकर पटवारी की परीक्षा पास की है और अब इस युवक के लिए हर कोई वही लाइनें कह रहा है जो अक्सर कही जाती हैं ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है’।

पैरों से लिखी किस्मत
पैरों से अपनी किस्मत लिखने वाले होनहार युवक का नाम अमीन खान है। अमीन देवास जिले के पीपलरावां गांव के रहने वाले हैं। अमीन के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं और घर की आर्थिक स्थिति में खराब है। दोनों हाथ न होने के कारण बचपन से ही अमीन को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी किस्मत खुद लिखने वाले अमीन ने पैरों से लिखना सीखा, अपनी कमी को कभी अपने हौसलों के आड़े नहीं आने दिया और अपनी कड़ी मेहनत से पहली ही बार में पटवारी की परीक्षा पास की है।

रोजाना 12 घंटे की पढ़ाई
पैरों से अपनी किस्मत लिखने वाले अमन बताते हैं उन्होंने पटवारी की परीक्षा के लिए 12 घंटे तक रोजाना पढ़ाई की और पहली ही बार में परीक्षा पास की है। अमन की इस कामयाबी से न केवल उनके परिवारवाले बल्कि पूरा गांव खुश है और हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है। अमन के परिजन ने बताया कि अमन पैरों से अपने सारे काम करते हैं और पैरों से लिखते हैं, इतना ही नहीं पैरों से कंप्यूटर भी चला लेते हैं। वहीं अगर अमीन की शिक्षा की बात की जाए तो अमीन ने कक्षा 1 से 12वीं तक पढ़ाई शासकीय स्कूल से करने के बाद इंदौर से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। अमन का कहना है कि दिव्यांगों के प्रति सामाजिक सोच को बदलने की जरूरत है और दिव्यांग लोग दिव्यांगता को अपनी ताकत बनाएं और दुनिया को बता दें कि वह भी किसी से कम नहीं हैं।

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