Uttrakhand में सिर्फ जोशीमठ ही नहीं, अब दूसरे जिलों के 25-30 गांवों में जमीन धंसने से मचा हड़कंप, डेंजर जोन के लगे बोर्ड

जहां एक ओर जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया है तो वहीं, गढ़वाल के 25-30 गांवों में भी जमीन धंसने और मकान में दरारों की आ रही तस्वीरों ने देशभर में हड़कंप मचाकर रख दिया है. टिहरी जिले की कृषि भूमि पर पिछले दिनों से डेढ़ फुट तक दरारें पड़ चुकी हैं.

उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया है. वहीं गढ़वाल के अन्य इलाकों में भी जमीन धंसने और मकान में दरारों की आ रही तस्वीरों ने प्रदेश और देशभर में हड़कंप मचा कर रख दिया है. जहां एक और जोशीमठ की स्थिति दयनीय बनी हुई है, तो वहीं गढ़वाल के ऐसे 25-30 गांव और हैं, जो भू-धंसाव और घरों में दरारों का दंश झेल रहे हैं. 
टिहरी जिले स्थित नरेंद्रनगर के अटाली गांव में ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन के निर्माण से अटाली गांव के कुछ परिवारों की कृषि भूमि सहित मकानों पर दरारें पड़ गई हैं. अटाली गांव की कृषि भूमि पर पिछले दो से तीन दिनों से डेढ़ फुट तक दरारें पड़ चुकी हैं जिसके चलते गांव के कई घर खतरे की जद में आ चुके हैं.    गांव में पड़ रही दरारों को देखते हुए अटाली गांव के पीड़ित परिवारों में रेलवे विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है. पीड़ित परिवारों  का कहना है कि उन्होंने रेलवे निर्माण कार्य का विरोध नहीं किया, मगर अब गांव की कृषि भूमि और घरों पर दरारें पड़ रही हैं. 

पीड़ित परिवारों का कहना है कि प्रशासन और रेलवे के अधिकारी यहां हालात देखने तो आते हैं, मगर सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अटाली गांव में उनकी पुश्तैनी जमीन है. मकान हैं. अब इस स्थिति में उनको छोड़कर जाएं भी तो कैसे? पीड़ित परिवार के लोगों का यह भी कहना है कि रेलवे को जमीन का मुआवजा देकर उनका विस्थापन करना चाहिए. 

उधर, उत्तरकाशी में यमुनोत्री नेशनल हाइवे के ऊपर वाडिया गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. वर्ष 2013 की आपदा के दौरान यमुना नदी के उफान पर आ जाने से इस गांव के नीचे कटाव होने लगा था. धीरे-धीरे गांव के घरों में दरार आने लगी. वहीं, यमुनोत्री धाम को जाने वाले एक मात्र नेशनल हाइवे भी धंसने लगा. 

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