प्यार में साथ रहना गुनाह नहीं, लेकिन लिव इन में रहने से पहले जान लें अपने अधिकार…

लिव इन रिलेशनशिप का चलन भारत के बड़े शहरों में तेजी से बढ़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट से मान्यता मिलने के बाद इसमें और भी तेजी आई है. हालांकि समाज अभी भी शादी से पहले महिला-पुरुष के एक साथ रहने को बुरी नजरों से देखता है और अक्सर इस तरह के संबंध को कटघरे में खड़ा किया जाता है. हाल ही में दिल्ली के महरौली में हुए श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड के बाद एक बार फिर लिव इन रिलेशनशिप पर बहस शुरू हो गई है.

लिव इन रिलेशनशिप यानी शादी किए बगैर किसी महिला और पुरुष के साथ रहने पर अक्सर बहस होती है लेकिन पिछले कुछ दिनों में ये मुद्दा काफी चर्चा में है. इसका कारण है दिल्ली का दिल दहला देने वाला श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड जहां एक लड़के ने अपनी प्रेमिका की पहले हत्या की और फिर उसकी लाश के 35 टुकड़े कर दिए. दोनों लिव इन में रहते थे. इस केस के बाद कुछ लोग लिव इन रिलेशनशिप पर सवाल उठाने लगे हैं. 

वास्तव में लिव इन में रहना किसी भी जोड़े का बेहद निजी मामला है और इसे सुप्रीम कोर्ट की मान्यता भी मिल चुकी है हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन में रहने वाले लोगों के लिए कुछ नियम तय किए हैं जिनकी जानकारी हर एक कपल को लिव इन में जाने से पहले होनी चाहिए. साथ ही उन्हें इनका पालन भी करना चाहिए. 

लिव इन पर क्या कहना है सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दो बालिग लोग आपसी सहमति से एक दूसरे के साथ रह सकते हैं और ये कानून की नजर में अवैध नहीं है. कोर्ट ऐसे कपल को पारंपरिक शादी में रहने वाले जोड़ों की तरह ही देखता है, बशर्ते वो कोर्ट के तय किए गए नियमों के साथ लिव-इन में रह रहे हों. 

चंडीगढ़ हाईकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता रीटा कोहली ने बताया, ”भारत में लिव इन रिलेशनशिप पर कोई कानून नहीं बना है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे पूरी तरह वैध करार दिया है. दरअसल कोर्ट ने पाया कि कई महिलाएं अपने मेल पार्टनर के साथ सालों तक साथ रहीं लेकिन अचानक उन्हें उनके पार्टनर ने यह कहकर घर से निकाल दिया कि अब वो साथ नहीं रह सकते और उन्होंने उस महिला से शादी नहीं की इसलिए वो फाइनैंशियल सपोर्ट की हकदार भी नहीं हैं. जबकि उन्होंने उस महिला के साथ कई साल बिताए और उन्हें समाज में अपने पार्टनर के तौर पर प्रेजेंट किया.”

वो आगे कहती हैं, ”इसलिए कोर्ट ने ऐसी महिलाओं को प्रोटेक्शन देने के लिए लिव इन को मान्यता दी. साथ ही उन्हें फिजिकल, इमोशनल और फाइनैंशियल वायलेंस से बचाने के लिए कई नियम भी बनाए.” 

लिव इन कपल के लिए कोर्ट ने बनाए हैं ये नियम लिव इन रिलेशन के लिए लड़का और लड़की दोनों का वयस्क होना जरूरी है. अगर कपल में लड़का या लड़की दोनों ही या दोनों में एक नाबालिग है तो उनका संबंध अवैध माना जाता है और इस संबंध को लिव इन रिलेशन की मान्यता नहीं मिलती.

लिव इन रिलेशन को इस कंडीशन में मिलती है मान्यता लिव इन रिलेशन तब मान्य होता है जब लड़का और लड़की पति-पत्नी की तरह एक साथ रह रहे हों. इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है लेकिन उनका लगातार साथ रहना जरूरी है. ऐसे संबंध को लिव नहीं माना जाएगा जिसमें वो कभी साथ रहें और कभी अलग या कुछ दिन साथ रहने के बाद अलग हो जाएं.

लिव इन में रह रही महिला को भरण पोषण का अधिकार लिव इन में रह रही महिला को पत्नी की ही तरह अपने साथी पुरुष से भरण पोषण की मांग करने का अधिकार है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह कहकर महिला को भरण पोषण के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वो कानूनी तौर पर पति-पत्नी नहीं हैं.

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